आदेश का पालन नहीं करने पर दिल्ली सरकार को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को उसके आदेशों की अनदेखी पर कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस ओका ने कहा कि सरकार 10 फीसदी भी आदेशों का पालन नहीं कर रही है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने बताया कि सजा में...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लगातार अपने आदेशों की अनदेखी किए जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि दिल्ली सरकार उसके (शीर्ष अदालत) द्वारा पारित आदेशों का 10 फीसदी पालन नहीं करने के मामले में सबसे आगे है, भले ही मुख्यमंत्री ‘उपलब्ध हों या नहीं।
जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने उम्रकैद की सजा काट रहे मो. आरिफ की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। याचिका में सजा में छूट देकर समय से पहले रिहाई की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली सरकार को सजा में छूट देकर रिहा करने की याचिकाकर्ता की मांग पर विचार करने का आदेश दिया था। सजा समीक्षा बोर्ड के समक्ष याचिकाकर्ता आरिफ की अर्जी अर्जी पिछले साल से लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल दिल्ली सरकार ने इसी तरह के एक मामले में कहा था कि सजा में छूट देने के बारे में निर्णय इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योकि तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उपलब्ध नहीं है। पीठ को बताया गया था कि सजा में छूट देने के बारे में निर्णय नहीं हो पा रहा है क्योंकि आबकारी नीति मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री जेल में हैं।
इस मामले में, पीठ को बताया गया कि याचिकाकर्ता को सजा में छूट देने के बारे में अभी निर्णय नहीं हो पाया है। इसके बाद जस्टिस ओका ने कड़ी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से पहले यह बताया गया था कि चूंकि मुख्यमंत्री उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए मामला आगे नहीं बढ़ रहा है। लेकिन अब वह स्थिति बदल गई है लेकिन सजा में छूट की मांग वाली याचिकाकर्ता की अर्जी अभी लंबित है। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘राजनीतिक स्थिति बदलने के बाद भी नौकरशाही की जड़ता बनी रही। इस मामले में पिछले साल नवंबर में भी शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार तब आड़े हाथ लिया था, जब बताया गया था कि सजा समीक्षा बोर्ड ने मामले में फैसले को टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 28 मार्च को इस मामले में गलत जानकारी देने के लिए दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। इस मामले में पीठ ने याचिकाकर्ता को दी गई अंतरिम राहत को बरकरार रखते हुए, सुनवाई
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