चुनाव संचालन नियमावली में संशोधन करने पर सुप्रीम कोटे ने केंद्र और निर्वाचन आयोग से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव संचालन नियमावली-1961 में संशोधनों को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिका पर केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया है। याचिका में सीसीटीवी फुटेज और...
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनाव संचालन नियमावली -1961 के प्रावधानों में बदलाव किए जाने पर केंद्र सरकार और भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की याचिका पर यह आदेश दिया है। उन्होंने याचिका में चुनाव संचालन नियम के उन प्रावधानों में संशोधन किए जाने को चुनौती दी है, जिसके तहत सीसीटीवी कैमरे और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कांग्रेस नेता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की दलों को सुनने के बाद केंद्र और आयोग को नोटिस जारी किया। इसके साथ ही पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए 17 मार्च से शुरू हो रहे सप्ताह में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने पीठ से कहा कि चुनाव संचालन नियमावली 1961 में संशोधन बहुत ही चतुराई से किया गया है। उन्होंने कहा कि इस संशोधन के जरिए सीसीटीवी फुटेज व अन्य इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों तक आम लोगों की पहुंच पर रोक लगा दी गई क्योंकि निर्वाचन आयोग का दावा है कि इससे मतदाता की पहचान उजागर हो जाएगी। वरिष्ठ अधिवक्ता ने पीठ से यह भी कहा कि मतदान के विकल्पों के बारे में कभी खुलासा नहीं किया गया तथा सीसीटीवी फुटेज से भी मतों का पता नहीं चल सकता।
कांग्रेस नेता रमेश ने चुनाव संचालन नियमावली में हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा किए गए संशोधनों को चुनौती देते हुए दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि सर्वोच्च न्यायालय तेजी से खत्म हो रही चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को बहाल करने में मदद करेगा। केंद्र सरकार ने हाल ही में भारतीय निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए चुनाव संचालन नियम में बदलाव किया है ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने चुनाव संचालन नियम-1961 के नियम 93 (2) (ए) में संशोधन किया, ताकि सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले ‘कागजात या दस्तावेजों के प्रकार को प्रतिबंधित किया जा सके।
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