Supreme Court Raises Concerns on Southern States Representation Amid Surrogacy Hearings अदालत से:::::ब्यूरो:::::‘जनसंख्या परिसीमन से संसद में पीछे रह जाएंगे दक्षिणी राज्य, Delhi Hindi News - Hindustan
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अदालत से:::::ब्यूरो:::::‘जनसंख्या परिसीमन से संसद में पीछे रह जाएंगे दक्षिणी राज्य

सुप्रीम कोर्ट ने सरोगेसी अधिनियम से संबंधित सुनवाई के दौरान चिंता जताई कि जनसंख्या आधारित परिसीमन से दक्षिणी राज्यों का संसद में प्रतिनिधित्व घट सकता है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि दक्षिण भारत में जन्म...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 9 May 2025 10:37 PM
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अदालत से:::::ब्यूरो:::::‘जनसंख्या परिसीमन से संसद में पीछे रह जाएंगे दक्षिणी राज्य

सरोगेसी अधिनियम से संबंधित सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने की मौखिक टिप्पणी नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने आशंका जताई कि जनसंख्या आधारित परिसीमन से देश की संसद में दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा क्योंकि उत्तर के राज्यों के मुकाबले दक्षिण में जनसंख्या बढ़ोतरी कम हो रही है। शीर्ष अदालत ने सरोगेसी के जरिए दूसरा बच्चा चाहने वाले दंपतियों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान मौखिक तौर पर यह टिप्पणी की। जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। जस्टिस नागरत्ना ने सुनवाई के दौरान कहा कि भारत के दक्षिणी राज्यों में परिवार कम होते जा रहे हैं क्योंकि दक्षिण भारत में जन्म दर कम हो रही है, जबकि इसके मुकाबले उत्तर भारत में बहुत से लोग हैं जो लगातार बच्चे पैदा कर रहे हैं।

ऐसे में अब इस बात की आशंका है कि यदि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन हुआ तो उत्तर भारत की जनसंख्या के कारण देश की संसद में दक्षिण राज्यों के प्रतिनिधियों की संख्या कम हो जाएगी। पीठ ने इस मामले में औपचारिक रूप से सरकार को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि इसी तरह के अन्य मामले के साथ इस पर भी विचार किया जाएगा। इस कारण सरोगेसी का विकल्प चुना इसके साथ ही, उन्होंने यह भी सवाल किया कि याचिकाकर्ता सरोगेसी का विकल्प क्यों चुनना चाहते हैं। इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोहिनी प्रिया ने पीठ से कहा कि वे सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 के नियम 14 के अंतर्गत आते हैं। इसके अंतर्गत यदि महिला किसी ऐसी चिकित्सा स्थिति से पीड़ित है जो जीवन के लिए खतरा है, या इच्छित माता-पिता गर्भधारण करने में विफल रहे हैं, या महिला ने कई बार गर्भधारण किया है, तो वह सरोगेसी का विकल्प चुन सकती है। पीठ को बताया गया कि जहां तक याचिकाकर्ताओं का सवाल है तो दोनों दम्पतियों ने इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) की कोशिश की, लेकिन यह विफल रही। दंपति एक और बच्चा क्यों चाहते हैं : पीठ इस पर पीठ ने सवाल किया कि दंपति एक और बच्चा क्यों चाहते हैं, जबकि उनके पास पहले से ही एक जैविक बच्चा है जो पूरी तरह स्वस्थ है। इस पर अधिवक्ता ने कहा कि दोनों दम्पतियों की छोटी लड़कियां हैं और वे बस अपना परिवार बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल जीवित बच्चे के सर्वोत्तम हित में है, और यह दंपति की व्यक्तिगत पसंद का मामला है। हर कोई एक बच्चा चाहता है : जस्टिस नागरत्ना इस पर जस्टिस नागरत्ना ने अधिवक्ता मोहिनी प्रिया से कहा कि आप देखिए, फिल्मी दुनिया की मशहूर हस्तियों के पहले से ही दो बच्चे हैं। उस व्यक्ति के पास दो सरोगेसी और तीसरा बच्चा है। यह एक फैशन नहीं बनना चाहिए, अब हर कोई एक बच्चा चाहता है। कोई भी दूसरा नहीं चाहता। इस पर अधिवक्ता प्रिया ने कहा कि ‘कुछ लोग हैं जो अभी भी अपने परिवार का विस्तार करना चाहते हैं। 8 साल से दूसरे बच्चे की कोशिश अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि गर्भपात नहीं हुआ था, बच्चे को गिराना पड़ा क्योंकि उसे जानलेवा बीमारी थी। हमारे पास डॉक्टरों की पूरी रिपोर्ट है। पीठ को बताया गया कि दंपति को पहला बच्चा 2016 में पैदा हुआ था और 8 साल से वे दूसरे बच्चे की कोशिश कर रहे हैं। यह वास्तव में एक चिकित्सा समस्या है।

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