बीमा पॉलिसी के तहत नए सिरे से मुआवजा तय करें: सुप्रीम कोर्ट
- शीर्ष कोर्ट ने एनसीडीआरसी के फैसले पर जताई आपत्ति नई दिल्ली, एजेंसी।

- शीर्ष कोर्ट ने एनसीडीआरसी के फैसले पर जताई आपत्ति नई दिल्ली, एजेंसी।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) को निर्देश दिया कि वह 2005 में एक कंपनी को हुए नुकसान के लिए बीमा पॉलिसी के तहत दी जाने वाली मुआवजा राशि पर नए सिरे से विचार करे। न्यायाधीश संजय कुमार और न्यायाधीश ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ एनसीडीआरसी के अगस्त, 2022 के आदेश के खिलाफ बीमा कंपनी की अपील पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।
पीठ ने कहा, इस बात पर गौर किया कि अपीलकर्ता (बीमा कंपनी) के सर्वेक्षक ने नुकसान का आकलन बहुत कम 8,89,176 रुपये किया, पर एनसीडीआरसी यह नहीं मान सकता कि अपीलकर्ता, कंपनी के सर्वेक्षक के एकतरफा 46,97,085 रुपये के बढ़े हुए आकलन को चुपचाप स्वीकार कर लेगा। न्यायालय ने कहा कि एनसीडीआरसी ने दावे की मात्रा तय करने में स्वतंत्र रूप से अपना दिमाग नहीं लगाया और कंपनी द्वारा प्रस्तुत सर्वेक्षक की रिपोर्ट में आकलन से इनकार करने में बीमा कंपनी की कथित विफलता पर आंख बंद कर काम किया। पीठ ने कहा, जैसा कि पहले बताया गया है, यह धारणा निराधार और गलत थी। न्यायालय ने प्रतिवादी को हुए नुकसान के लिए बीमा पॉलिसी के तहत मुआवजा राशि पर नए सिरे से विचार करने के लिए मामले को एनसीडीआरसी को भेज दिया।
यह है मामला :
एक आगरा की कंपनी ने बीमा प्रदाता से आग और विशेष खतरों के खिलाफ एक व्यापक बीमा पॉलिसी ले रखी थी। यह 30 जून, 2005 से 29 जून, 2006 तक प्रभावी थी। एक अगस्त, 2005 को भारी बारिश के कारण कारखाना शेड ढह गया और संयंत्र, मशीनरी, भंडार और इमारतों को नुकसान पहुंचा। कंपनी ने 91 लाख रुपये का बीमा दावा किया। इसके बाद बीमा कंपनी ने एक सर्वेक्षक नियुक्त किया, जिसने नुकसान का आकलन 8.89 लाख रुपये किया। बीमा कंपनी ने दावे को खारिज करते हुए तर्क दिया कि नुकसान बीमाकृत बाढ़ के जोखिम के कारण नहीं हुआ था और इसलिए यह पॉलिसी के दायरे से बाहर है। कंपनी ने दावे को खारिज किए जाने के बाद एनसीडीआरसी से संपर्क किया। कंपनी ने कहा कि उसने एक स्वतंत्र सर्वेक्षक को नियुक्त किया है जिसने पुष्टि की है कि नुकसान बाढ़ के कारण हुआ है और नुकसान का आकलन 46.97 लाख रुपये किया है। एनसीडीआरसी ने बीमाकर्ता को यह भुगतान करने का निर्देश दिया।
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