ओटीटी प्लेटफार्मों की निगरानी के लिए स्वतंत्र निकाय बनाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिसमें केंद्र सरकार से नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी प्लेटफार्मों की सामग्री की निगरानी के लिए एक स्वायत्त बोर्ड बनाने की मांग की गई है। याचिका में...
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को जनहित याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार को भारत में नेटफ्लिक्स जैसे तमाम ओवर द टॉप (ओटीटी) और अन्य प्लेटफार्मों पर प्रसारित की जाने वाली सामग्री की निगरानी व नियमन के लिए एक स्वायत्त बोर्ड बनाने का आदेश देने की मांग की है। शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में नेटफ्लिक्स पर प्रसारित की जा रही वेब श्रृंखला ‘आईसी 814: द कंधार हाईजैक का उल्लेख किया गया है ताकि एक नियामक तंत्र की आवश्यकता को रेखांकित किया जा सके। नेटफ्लिक्स ने दावा किया है कि यह वेब श्रृंखला वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित है।
अधिवक्ता शशांक शेखर झा और अपूर्वा अरहतिया के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया है कि ओटीटी प्लेटफार्मों पर बिना किसी तरह की जांच-परख के ही सामग्री का प्रसारित किया जाता है। इसमें कहा गया है कि पारंपरिक मीडिया- जैसे फिल्में और टीवी-हैं और इसके अलावा सिनेमाघरों में फिल्में दिखाने से पहले प्रमाणन से गुजरना होता है। याचिका में कहा है कि टीवी और सिनेमाघरों में दिखाई जाने वाली फिल्मों के विपरीत, ओटीटी पर सामग्री रिलीज से पहले प्रमाणन प्रक्रिया से नहीं गुजरती है और इसके चलते हिंसा, मादक द्रव्यों के सेवन और अन्य हानिकारक सामग्री में बढ़ोतरी हुई है, इसमें उचित चेतावनी के बिना ही धूम्रपान के दृश्य दिखाए जाते हैं। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे के समाधान के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी नियम) 2021 पेश किया, लेकिन वो अप्रभावी साबित हुए हैं। याचिका में कहा गया है कि ये ओटीटी प्लेटफार्म कानून की कमियों का फायदा उठाना जारी रखते हैं और विवादास्पद सामग्री को अनियंत्रित रूप से प्रसारित करते हैं।
याचिका में कहा है कि नेटफ्लिक्स पर प्रसारित की जा रही ‘आईसी 814: द कंधार हाईजैक श्रृंखला में जो कुछ दिखाया गया है, वह इतिहास को फिर से लिखने, वास्तविक अपहरणकर्ताओं द्वारा किए गए आतंकी कृत्य को कमतर दिखाने और उनके कृत्यों का महिमामंडन करने का एक घिनौना प्रयास है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में गया है कि आईसी 814 की त्रासदी को एक हास्यास्पद कहानी में बदल कर, इस वेब श्रृंखला के जरिए कपटपूर्ण एजेंडे को बढ़ावा देने का प्रयास किया है, जिसका उद्देश्य आतंकवाद की क्रूरता पर परदा डालना और हिंदू समुदाय को बदनाम करना है।
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