बंद पड़ी जेट एयरवेज की समाधान योजना विफल, संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश
प्रभात कुमार नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महत्वपूर्ण फैसले में बंद पड़ी जेट
प्रभात कुमार नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महत्वपूर्ण फैसले में बंद पड़ी जेट एयरवेज की परिसंपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया (लिक्विडेशन) शुरू करने का दिया निर्देश। शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत पूर्ण न्याय करने के लिए मिली असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए यह फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से दिवालिया हो चुकी जेट एयरवेज के लेनदारों, कर्मचारियों और अन्य हितधारकों को लाभ होगा क्योंकि संपत्तियों को बेचने के बाद पैसे का वितरण सभी लेनदारों, कर्मचारियों के बकाया भुगतान व अन्य हितधारकों को मिलेगा।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के 12 मार्च 2024 के फैसले को रद्द करते हुए यह आदेश दिया है, जिसके तहत जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने और इसका मालिकाना हक जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को हस्तांतरित किए जाने को मंजूरी दी गई थी। पीठ ने फैसले में कहा है कि चिंताजनक परिस्थिति यह है कि समाधान योजना को पांच साल से लागू नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलटी मुंबई पीठ को तत्काल जेट एयरवेज की परिसंपत्तियों को बेचने के लिए लिक्विडेटर (परिसमापक) नियुक्त करने और लिक्विडेशन की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने नकदी की कमी से जूझ रही जेट एयरवेज की समाधान योजना और इसका स्वामित्व जेकेसी को हस्तांतरित किए जाने को मंजूरी देने के एनसीएलएटी के फैसले खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और अन्य की ओर से दाखिल अपील का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि समाधान योजना के पूरा होने तक प्रदर्शन बैंक गारंटी (पीबीजी) को चालू रखना था क्योंकि इसे केवल योजना के उल्लंघन पर ही जब्त किया जा सकता था। पीठ ने कहा कि एसआरए जेकेसी ने योजना के तहत पहली किश्त न देकर भुगतान लागत देने में चूक की है। पीठ ने कहा कि ऐसे में एसआरए जेकेसी ने पहली किश्त का भुगतान नहीं करके समाधान योजना को लागू करने में विफल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चूंकि समाधान योजना को लागू करना संभव नहीं है, इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कॉरपोरेट ऋणदाता के लिए लिक्विडेशन एक विकल्प बना रहे। पीठ ने कहा है हमारी मूल चिंता न सिर्फ पर्याप्त न्याय करना है बल्कि विवाद का शीघ्र निपटारा भी करना है।
जेकेसी का 200 करोड़ रुपये जब्त
सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज के समाधान योजना को लागू करने में विफल रहने पर, सफल समाधान आवेदक (एसआरए) जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) द्वारा पहले जमा कराए गए 200 करोड़ रुपये की राशि जब्त करने कहा है। पीठ ने कहा है कि ऋणदाता और लेनदार एसआरए द्वारा मुहैया कराए गए 150 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को भुनाने के हकदार हैं।
आंख खोलने वाला है यह मामला
मामले में फैसला सुनाने से पहले जस्टिस जेबी पारदीवाला ने मौखिक तौर पर कहा कि ‘यह मामला आंख खोलने वाला है, इसने हमें आईबीसी और एनसीएलएटी के कामकाज के बारे में कई सबक सिखाए हैं। पीठ ने फैसले में कहा है कि परफॉरमेंस बैंक गारंटी (पीबीजी) के खिलाफ 350 करोड़ रुपये के भुगतान की पहली किस्त के समायोजन की अनुमति देने वाला एनसीएलएटी का आदेश 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश की न सिर्फ ‘घोर अवहेलना है बल्कि विकृत होने के साथ-साथ खामिया व्याप्त है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि इसमें कोई शक नहीं है कि एनसीएलएटी ने स्थापित कानूनी सिद्धांतों के विपरीत काम किया...एनसीएलएटी ने हमारे आदेश की गलत व्याख्या की।
एसबीआई की दलीलें
एसबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एन वेंकटरमन ने सुनवाई के दौरान पीठ से कहा कि एनसीएलएटी द्वारा जेट एयरवेज का स्वामित्व जेकेसी को हस्तांतरण को मंजूरी देने का फैसला, सुप्रीम कोर्ट के 18 जनवरी के आदेश का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पीबीजी के साथ 150 करोड़ को समायोजित करने वाला विवादित आदेश कानूनी रूप से गलत होने के साथ साथ यह आदेश समाधान योजना की परिकल्पना के बिल्कुल विपरीत है। साथ ही कहा कि एसआरए ने समाधान योजना के अनुसार 473 करोड़ रुपये के हवाई अड्डे के बकाया का अग्रिम भुगतान नहीं किया है। पीठ को बताया गया कि समाधान योजना के अनुसार एसआरए को 4,783 करोड़ रुपये। हालांकि, यह 350 करोड़ रुपये की पहली किस्त का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहा है और कर्मचारियों के 289 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जाना है।
जेकेसी का तर्क
एसआरए जेकेसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और गोपाल शंकरनारायणन ने भारतीय स्टेट बैंक की अपील का विरोध जेट एयरवेज की संपत्तियों को लिक्विडेट करने की मांग पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि शीर्ष न्यायालय के 18 जनवरी के आदेश पर पूरे तौर पर विचार किया जाना चाहिए, न कि सिर्फ कुछ हिस्सों पर।
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