पटाखों पर प्रतिबंध के लिए ऐसा तंत्र बने ताकि अगले साल दिवाली पर 2024 जैसा प्रदूषण न हो- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में दिवाली के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध के उल्लंघन को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी कर कहा कि 2024 में प्रदूषण की स्थिति को रोकने के लिए सख्त कदम...
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रतिबंध के बावजूद राजधानी में दिवाली के मौके पर बड़े पैमाने पर पटाखे जलाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। शीर्ष अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर यह बताने के लिए कहा है कि पटाखों पर प्रतिबंध के आदेश का सख्ती से पालन क्यों नहीं हुआ।
जस्टिस अभय एस. ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि ‘हम चाहते हैं कि आप (दिल्ली सरकार और पुलिस) पटाखों पर प्रतिबंध के आदेशों को सख्ती से लागू करने के लिए एक तंत्र बनाएं ताकि कम से कम अगले साल दिवाली में 2024 जैसा हाल नहीं हो। जस्टिस ओका ने कहा कि ‘इस बात में कोई संदेह नहीं हो सकता है कि पटाखा जलाने पर प्रतिबंध के आदेशों को शायद ही लागू किया गया हो। उन्होंने यह भी कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध के आदेश को लागू नहीं करने का परिणाम यह हुआ कि 2024 की दिवाली में दिल्ली में प्रदूषण अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर था और यह 2022 और 2023 की दिवाली से बहुत अधिक था। शीर्ष अदालत ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताते हुए दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के आदेशों और इसे लागू करने के लिए उठाए गए कदमों को के बारे में एक सप्ताह के भीतर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। पीठ ने सरकार को दिल्ली में पटाखों की बिक्री, निर्माण और फोड़ने पर प्रतिबंध लगाने के सभी आदेशों को रिकॉर्ड में दर्ज करने को कहा है। साथ ही दिल्ली पुलिस आयुक्त को प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है न्यायालय के आदेशों को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए हैं, इस बारे में जानकारी देने को कहा है।
पीठ ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त को अपने अपने हलफनामे में यह भी बताने के लिए कहा है कि वे अगले साल पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध को पूरी तरह लागू करने के लिए क्या प्रभावी कदम उठाएंगें। इसमें जन जागरूकता के लिए किए जाने वाले उपाय भी शामिल करने के लिए कहा है। साथ ही सरकार और पुलिस के अधिकारियों से दिल्ली में पटाखों पर स्थायी प्रतिबंध लगाने के बारे में भी समुचित निर्णय लेने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में पटाखों, पराली जलाने, अपशिष्ट जलाने, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, औद्योगिक प्रदूषण आदि जैसे स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। अब इस मामले की सुनवाई 14 नवंबर को होगी।
दिवाली के अलावा अन्य त्यौहारों पर भी पटाखों के इस्तेमाल पर लग सकता है प्रतिबंध
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस. ओका ने कहा कि शीर्ष अदालत दिवाली के अलावा अन्य त्यौहारों पर भी पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखेगा, लेकिन पहले वह वर्तमान प्रतिबंध आदेश की प्रकृति देखना चाहेगा। उन्होंने कहा अखबारों में प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है, जबकि इस आदेशों का उद्देश्य विशेष रूप से दिवाली के दौरान होने वाले प्रदूषण के स्तर को कम करना है। जस्टिस ओका ने कहा कि ‘हम चाहते हैं कि आप (दिल्ली सरकार और पुलिस) एक तंत्र बनाएं ताकि कम से कम अगले साल दिवाली पर वायु प्रदूषण की स्थिति 2024 जैसी नहीं हो। उन्होंने हम आपको बताएंगे कि समस्या क्या है। उन्होंने कहा कि कानून में संशोधन के जरिए भारत सरकार ने वायु प्रदूषण अधिनियम के तहत दंडात्मक प्रावधान को हटा दिया है और केवल जुर्माना का प्रावधान है। लेकिन इस बारे में कोई समाधान लागू करेंगे कि इसे किस तरह से लागू किया जा सकता है।
क्या पटाखा बेचने वालों के दुकानों गोदामों को सील किया जा सकता है- शीर्ष अदालत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए लोगों में जागरूकता लाने की जरूरत है। पीठ ने कहा कि लोग दूसरे राज्यों से पटाखा ला रहे हैं। जस्टिस अभय एस. ओका ने कहा कि दिवाली से पहले पटाखों जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लोगों में समझ की कमी है, इसलिए हमें उन्हें समझाना होगा और इसके लिए हर सरकार दिवाली से पहले व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाना होगा। पीठ ने कहा कि ‘कुछ तो करना ही होगा। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि जो लोग पटाखा बेच रहे हैं, क्या उनके दुकानों/गोदामों और परिसरों को सील किया जा सकता है? पीठ ने कहा कि कुछ तो करना होगा, तभी कुछ ठोस परिणाम मिलेंगे। जस्टिस ओका ने कहा कि अगली सुनवाई पर हम इस बारे में विचार करेंगे कि क्या प्रतिबंध के बाद भी पटाखा बेचने वालों के परिसरों को सील किया जाना चाहिए। इससे पहले, केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने पीठ से कहा कि इस साल पटाखों पर प्रतिबंध का आदेश का उल्लंघन हुआ है।
पराली जलाने की घटना पर हरियाणा और पंजाब सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब सरकार को हलफनामा दाखिल कर अक्टूबर के आखिरी 10 दिनों में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या के बारे में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। पीठ ने यह आदेश तब दिया, जब मामले में नियुक्त न्याय मित्र व वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कि ‘दिवाली के दौरान खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई हैं। उन्होंने पीठ से कहा कि दिवाली से एक दिन पहले पराली जलाने की 160 घटनाएं दर्ज की गई थीं, लेकिन दिवाली के दिन यह बढ़कर 605 हो गई, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ गया। वरिष्ठ अधिवक्ता सिंह ने पीठ से कहा कि दिवाली पर प्रदूषण का 10 फीसदी से बढ़कर 30 फीसदी हो गया।
पंजाब के प्रस्ताव पर विचार करें केंद्र
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पंजाब सरकार के उस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा है जिसके तहत राज्य के छोटे किसानों की सहायता के लिए ट्रैक्टर व अन्य उपकरण मुहैया कराने में आर्थिक मदद देने का आग्रह किया है। राज्य सरकार ने पराली जलाने की घटना पर लगाम लगाने के लिए छोटे किसानों को मदद देने के लिए केंद्र के पास प्रस्ताव भेजा है।
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