Hindi NewsNcr NewsDelhi NewsSupreme Court Issues Notice to Center and Delhi Government on Land Pooling and Green Development Policy

लैंड पूलिंग नीति लागू करने की मांग पर केंद्र व दिल्ली से मांगा जवाब

दिल्ली में लैंड पूलिंग और ग्रीन डेवलपमेंट एरिया नीति के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 13 Nov 2024 08:37 PM
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नई दिल्ली विशेष संवाददाता राजधानी में लैंड पूलिंग और ग्रीन डेवलपमेंट एरिया नीति को लागू करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत में दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि लैंड पूलिंग और ग्रीन डेवलपमेंट एरिया नीति के प्रभावी क्रियान्वयन किया जाता है, तो उचित प्लॉटेड विकास, बुनियादी ढांचा, हरित क्षेत्र और गांवों का शहरीकरण होगा और इससे राजधानी में अवैध कॉलोनियों की रफ्तार पर लगाम लगेगी।

जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले में केंद्र व दिल्ली सरकार के अलावा उपराज्यपाल, डीडीए और अन्य हितधारकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव मुखर्जी ने पीठ को बताया कि सरकार लैंड पूलिंग और ग्रीन डेवलपमेंट एरिया नीति को लागू नहीं कर रही है और इससे राजधानी में अवैध कॉलोनियां बन रही है। उन्होंने कहा कि यदि इस नीति को प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है, तो शहर में सभी सुविधानओं से युक्त उचित प्लॉटेड खंड, बुनियादी ढांचा, हरित क्षेत्र और गांवों का शहरीकरण होगा। उन्होंने पीठ दे कहा कि सरकार मामले में कुछ नहीं कर रही है, इसकी वजह लोग अनधिकृत कॉलोनियां बना रहे हैं और बिल्डर इन जमीनों को औने-पौने दामों पर ले रहे हैं। दिल्ली देहात विकास मंच की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि ‘हम लोग किसान हैं जो अब भूजल मुद्दों, मिट्टी के मुद्दों आदि के कारण इन जमीनों पर खेती नहीं कर सकते हैं। ऐसे में हमें डीडीए द्वारा शहरी क्षेत्र घोषित करने का आदेश देने की मांग की है। याचिका में मास्टर प्लान 2021 और ड्राफ्ट मास्टर प्लान 2041 में उल्लिखित लैंड पूलिंग नीति और ग्रीन डेवलपमेंट एरिया (जीडीए) नीति, जिसे पहले एलडीआरए कहा जाता था, के तत्काल और समयबद्ध कार्यान्वयन की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट से इन नीतियों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की गई है।

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