जेट एयरवेज के उड़ान भरने की संभावना खत्म
-- सुप्रीम कोर्ट ने बंद पड़ी जेट एयरवेज की संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महत्वपूर्ण फैसले में बंद पड़ी जेट एयरवेज की परिसंपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया (लिक्विडेशन) शुरू करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत पूर्ण न्याय करने के लिए मिली असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए यह फैसला दिया है। इस फैसले से दिवालिया हो चुकी जेट एयरवेज के लेनदारों, कर्मचारियों और अन्य हितधारकों को लाभ होगा, क्योंकि संपत्तियों को बेचने के बाद पैसे का वितरण सभी लेनदारों, कर्मचारियों के बकाया भुगतान के लिए होगा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के 12 मार्च 2024 के फैसले को रद्द करते हुए यह आदेश दिया है। एनसीएलएटी ने जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने और इसका मालिकाना हक जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को हस्तांतरित किए जाने को मंजूरी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि चिंताजनक परिस्थिति यह है कि समाधान योजना को पांच साल से लागू नहीं किया गया। कोर्ट ने एनसीएलटी मुंबई पीठ को तत्काल जेट एयरवेज की परिसंपत्तियों को बेचने के लिए लिक्विडेटर (परिसमापक) नियुक्त करने और लिक्विडेशन की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया।
इस मामले में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और अन्य की ओर से याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें जेट एयरवेज की समाधान योजना और इसका स्वामित्व जेकेसी को हस्तांतरित करने को मंजूरी देने के फैसले को चुनौती दी गई थी। पीठ ने कहा कि एसआरए जेकेसी ने योजना के तहत पहली किश्त न देकर भुगतान लागत देने में चूक की है। चूंकि समाधान योजना को लागू करना संभव नहीं है, इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कॉरपोरेट ऋणदाता के लिए लिक्विडेशन एक विकल्प बना रहे। पीठ ने कहा है हमारी मूल चिंता न सिर्फ पर्याप्त न्याय करना है बल्कि विवाद का शीघ्र निपटारा भी करना है।
जेकेसी के 200 करोड़ रुपये जब्त
सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज के समाधान योजना को लागू करने में विफल रहने पर, सफल समाधान आवेदक (एसआरए) जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) द्वारा पहले जमा कराए गए 200 करोड़ रुपये की राशि जब्त करने कहा है। पीठ ने कहा है कि ऋणदाता और लेनदार एसआरए द्वारा मुहैया कराए गए 150 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को भुनाने के हकदार हैं।
आंख खोलने वाला है यह मामला
मामले में फैसला सुनाने से पहले जस्टिस जेबी पारदीवाला ने मौखिक तौर पर कहा कि ‘यह मामला आंख खोलने वाला है, इसने हमें आईबीसी और एनसीएलएटी के कामकाज के बारे में कई सबक सिखाए हैं। पीठ ने फैसले में कहा है कि परफॉरमेंस बैंक गारंटी (पीबीजी) के खिलाफ 350 करोड़ रुपये के भुगतान की पहली किस्त के समायोजन की अनुमति देने वाला एनसीएलएटी का आदेश 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश की न सिर्फ ‘घोर अवहेलना है बल्कि विकृत होने के साथ-साथ खामिया व्याप्त है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि इसमें कोई शक नहीं है कि एनसीएलएटी ने स्थापित कानूनी सिद्धांतों के विपरीत काम किया...एनसीएलएटी ने हमारे आदेश की गलत व्याख्या की।
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