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सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार कंपनियों की समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया भुगतान की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल जैसी कंपनियों ने त्रुटियों का आरोप लगाते हुए सुधारात्मक...
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया के भुगतान के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार कंपनियों को राहत देने से इनकार करते हुए 2019 के अपने फैसले के खिलाफ दाखिल सुधारात्मक याचिकाओं को खारिज कर दिया। वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल सहित कई दूरसंचार कंपनियों ने शीर्ष अदालत में सुधारात्मक याचिका दाखिल कर दूरसंचार विभाग द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) में त्रुटियों का आरोप लगाते हुए, इसमें सुधारने की मांग की थी।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और बीआर गवई की पीठ ने दूरसंचार कंपनियों की उन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया, जिसमें सुधारात्मक याचिकाओं को खुली अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आग्रह किया था। पीठ ने 30 अगस्त को ही दूरसंचार कंपनियों की सुधारात्मक याचिकाओं को खारिज कर दिया था, लेकिन इसे गुरुवार को सार्वजनिक किया गया। शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘हमने सुधारात्मक याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों पर विचार किया है, हमारा मानना है कि रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा में इस अदालत के फैसले में बताए गए मापदंडों के आधार पर कोई मामला नहीं बनता है, इसलिए सुधारात्मक याचिकाएं खारिज की जाती हैं। किसी भी मुकदमे में सुधारात्मक याचिका सुप्रीम कोर्ट में अंतिम पड़ाव होती है, उसके बाद इस अदालत में गुहार लगाने का कोई कानूनी विकल्प नहीं बचता है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 9 अक्टूबर को कुछ दूरसंचार कंपनियों की दलीलों विचार किया था। कंपनियों ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया मुद्दे पर उनकी याचिकाओं को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार कंपनियों को झटका देते हुए अक्टूबर 2019 में केंद्र सरकार की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें कंपनियों से लगभग 92 हजार करोड़ रुपये का समायोजित सकल राजस्व वसूलने की मांग की थी। पीठ ने दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार समायोजित सकल राजस्व की परिभाषा को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत के इस फैसले के खिलाफ दूरसंचार कंपनियों ने समीक्षा याचिका दाखिल की थी, लेकिन जनवरी, 2020 में उसे खारिज कर दिया गया। शीर्ष अदालत ने सितंबर 2020 में यह फैसला दिया था कि दूरसंचार कंपनियों को 10 साल की अवधि में अपने एजीआर बकाया का भुगतान करने की आवश्यकता थी। पीठ ने यह स्पष्ट किया था कि एजीआर बकाया का कोई पुनर्मूल्यांकन नहीं होगा और किसी भी चूक के लिए ब्याज, जुर्माना और अदालत की अवमानना के आरोप लगाए जाएंगे। इसके बाद 2023 में, वोडाफोन, एयरटेल सहित अन्य दूरसंचार कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में जनवरी 2020 के फैसले (समीक्षा याचिकाओं को खारिज करने वाले फैसले) के खिलाफ सुधारात्मक याचिका दाखिल की थी।
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