प्रदूषण: कोई भी धर्म ऐसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता है जो प्रदूषण फैलाता हो- सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली में दिवाली के मौके पर सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने में विफलता पर दिल्ली सरकार और पुलिस को फटकार लगाई। न्यायालय ने कहा कि स्वच्छ हवा का अधिकार मौलिक है और पटाखों से प्रदूषण...
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिवाली के मौके पर प्रतिबंध के बाद भी बड़े पैमाने पर पटाखे फोड़े जाने के चलते खराब हुई दिल्ली-एनसीआर की आबो-हवा का जिक्र करते हुए कहा कि ‘कोई भी धर्म धर्म ऐसी किसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता है जिससे प्रदूषण फैलता हो। शीर्ष अदालत ने राजधानी दिल्ली में दिवाली के मौके पर आदेशों के बाद भी पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने में विफल रहने पर दिल्ली सरकार और पुलिस को फटकार लगाते हुए यह टिप्पणी की।
जस्टिस अभय एस. ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि ‘स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त वातावरण में जीने का अधिकार हरेक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है. जिसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित किया गया है। जस्टिस ओका ने कहा कि यदि पटाखे जलाए जाते हैं तो हवा स्वच्छ नहीं रहता है और इससे लोगों के स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार पर भी असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में इस तरह से पटाखा जलाया जाता है तो यह लोगों के स्वास्थ्य एवं जीवन जीने के मौलिक अधिकारों का हनन है।
पटाखों पर प्रतिबंध को लागू करने के लिए दिल्ली पुलिस को स्पेशल सेल बनाने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध के आदेश को प्रभावी तरह से लागू करने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को महज दिखावा बताया। पीठ ने कहा कि पुलिस ने राजधानी में पटाखों पर प्रतिबंध को व्यापक रूप से लागू करने में पूरी तरह से विफल रही और कार्रवाई के नाम पर केवल कच्चा माल जब्त की। जस्टिस ओका ने कहा कि हम दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश देते हैं कि वे सभी संबंधित हितधारकों को पटाखों पर प्रतिबंध के बारे में तुरंत सूचित करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रतिबंध के दौरान कोई भी लाइसेंस धारक निर्माता पटाखों का भंडारण या बिक्री नहीं करे। उन्होंने दिल्ली पुलिस आयुक्त को तुरंत उन संस्थाओं को भी नोटिस जारी कर पटाखों पर प्रतिबंध के बारे में सूचित करने का आदेश दिया है, मार्केटिंग प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन पटाखे बेचते हैं ताकि राजधानी दिल्ली की सीमाओं के भीतर पटाखों की बिक्री और डिलीवरी बंद हो जाए। पीठ ने पुलिस आयुक्त को पटाखों पर प्रतिबंध के आदेश को प्रभावी तरह से लागू करने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ बनाने का निर्देश देते हैं। इसके साथ ही पीठ ने पुलिस आयुक्त से पूरे साल प्रतिबंध को लागू करने के लिए सभी स्थानीय थानों के एसएचओ को जिम्मेदार ठहराने का निर्देश जारी करने का आदेश दिया है। साथ ही, शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को पटाखों पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में उन्हें निजी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
सालों पर पटाखों पर प्रतिबंध के बारे में 25 नवंबर से पहले निर्णय ले दिल्ली सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी में पटाखों के उत्पादन, बिक्री, भंडारण और परिवहन पर प्रतिबंध लगाने के लिए देरी से अधिसूचना जारी करने पर दिल्ली सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस ओका और मसीह की पीठ ने इस पर आश्चर्य जताया कि दिल्ली सरकार ने प्रतिबंध की अधिसूचना को 14 अक्टूबर को जारी किया। जस्टिस ओका ने कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध के लिए अधिसूचना जारी करने में अत्यधिक देरी के चलते उस समय तक प्रतिबंध अवधि के दौरान पटाखों का उपयोग करने वाले उपयोगकर्ताओं ने पटाखों का भंडारण कर लिया होगा। मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि सभी हितधारकों से परामर्श करने के बाद राजधानी में परे साल पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के के बारे में निर्णय लेगी। इसके बाद पीठ से सरकार को मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को या उससे पहले इस बारे में समुचित निर्णय लेने और कोर्ट को बताने का आदेश दिया है। इससे पहले, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ से कहा कि दिल्ली सरकार दशहरा के ठीक दो दिन बाद 14 अक्टूबर को पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया। भाटी ने पीठ से कहा कि 14 अक्टूबर तक दिल्ली पुलिस के पास प्रतिबंध आदेश को विनियमित या नियंत्रित करने का अधिकार नहीं था। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रतिबंध का आदेश जारी होने के बाद ही इसे लागू कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस की खिंचाई करने के साथ-साथ एनसीआर में शामिल राज्यों को भी पटाखों पर प्रतिबंध के आदेश को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी पेश करने को कहा है। संबंधित राज्यों से यह बताने के लिए कहा कि पटाखों के निर्माण, बिक्री और इस्तेमाल पर रोक के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
दिवाली के दौरान दिल्ली में उच्च प्रदूषण स्तर पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई 4 नवंबर को आदेशों के उल्लंघन पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी और दिल्ली सरकार और पुलिस से रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। पीठ ने यह बताने का आदेश दिया था कि प्रतिबंध के आदेश का पालन क्यों नहीं हआ।
पटाखों पर प्रतिबंध को लागू करने में पुलिस ने सहायता नहीं की- दिल्ली सरकार
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पटाखों पर प्रतिबंध को प्रभावी तरीका से लागू करने में उसे कोई सहायता नहीं मिल रही। सरकार ने कहा कि प्रतिबंध के आदेश को दिल्ली पुलिस द्वारा लागू किया जाना है, लेकिन पुलिस की ओर से कोई सहायता नहीं मिल रही। हालांकि पुलिस की ओर से सफाई में कहा गया कि सरकार ने प्रतिबंध का आदेश काफी देरी यानी 14 अक्टूबर को जारी किया। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि तथ्यों को देखने के बाद हमने पाया कि दिल्ली पुलिस द्वारा पटाखों पर प्रतिबंध के आदेश को लागू करने को गंभीरता से नहीं लिया गया। पीठ ने कहा कि पुलिस की ओर से प्रतिबंध के आदेश के बारे में उन लोगों को सूचित नहीं किया गया जो पटाखे के निर्माण, भंडारण, बिक्री करते हैं। अदालत ने कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए दिल्ली पुलिस को सबसे पहले उन्हें प्रतिबंध के बारे में सूचित करना चाहिए था जो पटाखे बनाते, भंडारित करते हैं या बेचते हैं।
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