Hindi NewsNcr NewsDelhi NewsSupreme Court Considers Setting Up Courtroom in Tihar Jail for Yasin Malik Case Amid Security Concerns

अदालत से::::::: हमारे देश में कसाब तक को निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिला : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक के अपहरण मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि उन्हें तिहाड़ जेल में सुनवाई के लिए पेश किया जा सकता है। जम्मू में इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी और सुरक्षा कारणों से मलिक को वहां पेश...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 21 Nov 2024 06:35 PM
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- कहा, यासीन मलिक मामले में तिहाड़ जेल में कोर्ट रूम का दे सकते हैं आदेश - खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी और सुरक्षा कारणों से जम्मू में पेशी संभव नहीं

नई दिल्ली, एजेंसी।

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ अपहरण मामले में सुनवाई करते हुए गुरुवार को टिप्पणी की कि अजमल कसाब को भी हमारे देश में निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिला था। इसके साथ ही संकेत दिया कि वह मलिक मामले में सुनवाई के लिए तिहाड़ जेल में एक अदालत कक्ष स्थापित कर सकता है।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ जम्मू की एक निचली अदालत के 20 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। निचली अदालत ने तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मलिक को तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण मामले में जिरह के लिए प्रत्यक्ष रूप से पेश होने का निर्देश दिया है। इस पर पीठ ने कहा कि मलिक की कोर्ट में पेशी ऑनलाइन नहीं हो सकती क्योंकि जम्मू में इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत अच्छी नहीं है। साथ ही याद दिलाते हुए कि मुंबई हमले के आतंकी कसाब को हाईकोर्ट में कानूनी सहायता दी गई थी उसने सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि मलिक के मामले में गवाहों की कुल संख्या का पता लगाएं।

मलिक साधारण अपराधी नहीं

सॉलिसिटर जनरल ने सुरक्षा संबंधी मुद्दा उठाते हुए कहा कि मलिक को सुनवाई के लिए जम्मू नहीं ले जाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट में उसकी व्यक्तिगत पेशी से पहले सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हुई थीं। उन्होंने मलिक पर प्रत्यक्ष रूप से पेश होने और वकील न रखने के लिए चालाकी का आरोप लगाया। कहा कि वह कोई साधारण अपराधी नहीं है। आतंकी हाफिज सईद के साथ मंच साझा करते हुए मलिक की एक तस्वीर भी कोर्ट को दिखाई। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि वह संबंधित न्यायाधीश को दिल्ली आने के अलावा जेल में सुनवाई का आदेश दे सकती है, पर आदेश से पहले मामले में सभी आरोपियों का पक्ष सुना जाना चाहिए।

आरोपियों को प्रतिवादी बनाने का निर्देश

पीठ ने कहा कि मलिक को शीर्ष अदालत में वर्चुअल रूप से पेशी की अनुमति दी जा सकती है। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर को तय की। इस बीच, सीबीआई को अपनी याचिका में संशोधन करने और सभी आरोपियों को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया गया है।

क्या है मामला

जम्मू की एक विशेष टाडा अदालत ने मलिक को जिरह के लिए अगली सुनवाई परशारीरिक रूप से पेश होने का निर्देश दिया है। सीबीआई ने इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है, क्योंकि टाडा मामलों में अपील केवल शीर्ष अदालत द्वारा ही सुनी जाती है। रुबैया को आठ दिसंबर, 1989 को श्रीनगर से अगवा किया गया था। इसके पांच दिन बाद उन्हें तब रिहा किया गया जब केंद्र की तत्कालीन वीपी सिंह सरकार ने बदले में पांच आतंकियों को रिहा किया। सीबीआई ने नब्बे के दशक की शुरुआत में इस मामले को अपने हाथ में लिया था।

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