केले का पेड़ बनाम अटकी हुई फाइल
एक ज्योतिषी ने कहा कि शनि मंदिर में पूजा करना व्यर्थ है अगर आप बाहर किसी से दुर्व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने सलाह दी कि अपने कार्यक्षेत्र में सज्जन व्यक्तियों से अच्छे व्यवहार करें। यह उपाय जीवन में...
एक बात मैं कई बार कहता हूं कि आपका शनि मंदिर जाकर तेल चढ़ाना व्यर्थ है, अगर आपने शनि मंदिर के बाहर जाकर रिक्शा वाले से दो-चार रुपयों के लिए बहसबाजी कर ली, क्योंकि शनि मंदिर के अंदर तो शनि महाराज अप्रत्यक्ष रूप से विराजमान हैं, लेकिन उस रिक्शे वाले के रूप में शनि महाराज प्रत्यक्ष रूप से मौजूद हैं। इस बात का यह भी मतलब नहीं की रिक्शे वाला, फल वाला या फूल वाला आपसे जो दाम मांगे आप उसे वह दाम दे दें। ये जानते हुए कि वो लूट रहा है। इसका मतलब बस इतना सा है कि आप उसे कमजोर या निर्बल जानकर उसके साथ अभद्र व्यवहार ना करें। अगर आपको लगता है कि वह आपको लूट रहा है तो आप उसके जैसे किसी दूसरे व्यक्ति को खोजें।
अब चलिए आज की घटना की ओर लौटते हैं। मेरे एक परिचित व्यक्ति कुछ जटिल समस्याओं से घिरे हुए हैं जिसके लिए उन्होंने मुझसे ज्योतिषीय मदद भी ली थी। उसके बाद उन्होंने कुछ और ज्योतिषियों को अपनी कुंडली दिखाई। उनमें से एक ज्योतिषी ने उन्हें आसपास के किसी मंदिर में जाकर केले का पेड़ लगाने को कहा।
कुंडली के 12 भाव धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के अनुसार बांटे गए हैं और जातक को हमेशा ही प्रमुख रूप से धर्म भाव यानी लग्न, पंचम, नवम भाव के उपाय करने चाहिए। वैसे तो कन्या लग्न की कुंडली के हिसाब से बृहस्पति का उपाय जातक को नहीं करना चाहिए, लेकिन इस विषय पर फिर कभी बात करेंगे। कुंडली में ग्रहों को देखने का तरीका अपने अनुभव के आधार पर हर ज्योतिषी का अलग-अलग होता है। मुमकिन है, उन्हें कुछ नजर आया हो, जिसकी वजह से उन्होंने पास के मंदिर में केले का पेड़ लगाने की सलाह दी हो।
मंदिर में केले का पेड़ लगाना एक सात्विक उपाय है। इसलिए मैंने अपने परिचित व्यक्ति को इसके लिए मना भी नहीं किया। मेरे परिचित व्यक्ति जिस ऑफिस में कार्यरत हैं, उसी ऑफिस में मेरे एक और जानने वाले व्यक्ति भी कार्यरत हैं। बातों ही बातों में जब उनका जिक्र छिड़ा तो मुझे बताया गया है कि उनकी एक फाइल काफी समय से अटकी हुई है, जो हमने ऊपर के विभाग में भिजवा दी है, लेकिन उस फाइल के कारण हमारी उनसे हफ्ते में एक-दो बार हल्की बहस/कहासुनी आदि हो होती है।
इसके बाद बात आई-गई हो गई और मैं अपने घर लौट आया। घर लौट के आने पर मुझे एक विचार आया और मैंने जटिल समस्याओं से घिरे परिचित व्यक्ति को फोन मिलाया। मैंने उनसे कहा कि जिस व्यक्ति की फाइल अटकी हुई है वो तो काफी सज्जन व्यक्ति हैं। यह बात सुनकर उन्होंने भी इस बात में हामी भरी। साथ ही, उन्होंने कहा, ‘लेकिन हमारे हाथ में कुछ है नहीं मैंने उन्हें बताया कि बृहस्पति का जो उपाय आप मंदिर में जाकर करने वाले हैं उसे पहले अपने कार्यक्षेत्र में भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा, मैं कुछ समझा नहीं। मैंने उनसे कहा कि आप उस ज्ञानी एवं सज्जन व्यक्ति को गुरु का ही एक रूप मान सकते हैं और उन्हें अपने कमरे में बुलाकर फाइल क्यों अटकी है, उस बारे में विस्तार से बता सकते हैं। साथ ही, यह भी बता सकते हैं कि आपकी तरफ से काम पूरा हो चुका है, आगे आपके हाथ में कुछ भी नहीं है, लेकिन आप अपनी तरफ से पूरा प्रयास करेंगे।
इस स्थिति में अगर वह व्यक्ति आपसे नाराज भी चल रहा होगा तो उसके मन में नाराजगी का भाव कुछ हद तक समाप्त हो जाएगा और यही एक तरह से गुरु का उपाय भी है। वह मेरी बात से कुछ हद तक सहमत हो गए और उन्होंने ऐसा करने का वादा किया, लेकिन अंत में मैं एक बार फिर से वही बात दोहराऊंगा की इस बात का यह कतई मतलब नहीं की किसी पर दया करके आप उसकी अनैतिक मदद करें या फिर कोई व्यक्ति आपका फायदा ही उठा ले। एक बात हमेशा याद रखिएगा, आपको जीवन में जितना हो सके लोगों की मदद करनी है, लेकिन दधीचि नहीं बनना है, क्योंकि इस स्थिति में फिर आप किसी दूसरे, तीसरे, चौथे व्यक्ति की मदद नहीं कर पाएंगे।
- विपुल जोशी, ज्योतिषाचार्य
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