ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कमजोर पड़ी
शोल्डर ---- आरबीआई रेपो दर को 6.5 फीसदी पर ही बरकरार रख सकता है
मुंबई, एजेंसी। पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है। इसका असर आने वाले दिनों में घरेलू स्तर पर महंगाई बढ़ने के तौर पर दिख सकता है। माना जा रहा है कि इन स्थितियों को देखते हुए आरबीआई इस सप्ताह होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में प्रमुख ब्याज दर (रेपो दर) को एक बार फिर यथावत रख सकता है। पहले विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई थी कि अमेरिकी फेड द्वारा बहुप्रतीक्षित ब्याज दर में कटौती की शुरुआत के बाद आरबीआई भी यह सिलसिला जल्द शुरू कर सकता है। महंगाई तय दायरे में लेकिन चिंता बरकरार
आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास नौ अक्टूबर को तीन दिन चलने वाली बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि खुदरा मुद्रास्फीति बीते दो माह से आरबीआई के दायरे चार प्रतिशत के दायरे में बनी हुई है लेकिन खाद्य महंगाई को लेकर चिंता अब भी बरकरार है। सब्जियों और दालों की कीमत बढ़ने से इसमें उछाल आया है। वहीं, अब पश्चिम एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और जिंस कीमतों पर पड़ेगा। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि हमें रेपो दर या एमपीसी के रुख में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है। इसका कारण यह है कि सितंबर और अक्टूबर में मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से ऊपर रहेगी। इसके अलावा मुख्य मुद्रास्फीति धीरे-धीरे बढ़ रही है। खुदरा मुद्रास्फीति में खाद्य महंगाई का भार 46 फीसदी है।
कच्चे तेल का ऐसे असर
ईरान-इजराइल के बीच चल रहे तनाव के बीच कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है। पिछले हफ्ते ब्रेंट क्रूड की कीमतें गिरकर 70-71 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई थीं, जो अगस्त के आखिरी हफ्ते में 80 डॉलर प्रति बैरल थी। इस बीच ईरान-इजरायल के बीच संघर्ष बढ़ने से कीमत बढ़कर 75 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई, जिसके और ऊपर जाने का जोखिम बढ़ गया है। देश के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में ईंधन का भार सात प्रतिशत है। ईंधन के दाम बढ़ने से महंगाई में उछाल का जोखिम बना हुआ है। आरबीआई कच्चे तेल की कीमतों पर लगातार निगाह बनाए हुए है।
इन देशों ने घटाई है ब्याज दर
हाल ही में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.5 प्रतिशत की कमी की है और कटौती को आगे जारी रखने के संकेत दिए हैं। जापान ने भी ब्याज दरें घटाई थीं। इसे देखते हुए विशेषज्ञों का मानना था कि आरबीआई इसका अनुसरण कर सकता है, क्योंकि उसने फरवरी 2023 से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा है।
क्या है महंगाई का अनुमान
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के लिए मौद्रिक नीति समिति के 4.4 फीसदी के अनुमान से कम रहेगी। लेकिन पूरे वित्त वर्ष 2025 के लिए यह 4.5 फीसदी के अनुमान के बराबर ही रह सकती है। वहीं, आरबीआई ने भी दूसरी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति के 4.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।