Notification Icon
Hindi Newsएनसीआर न्यूज़नई दिल्लीSovereign Gold Bonds Outperform Nifty 50 in Profitability Demand Surges Amid Tax Cuts

बिजनेस::फ्लायर::कुल 30 में से 21 गोल्ड बॉन्ड ने दिया निफ्टी से बेहतर मुनाफा

पिछले साल सोना 22% चढ़ा, निफ्टी 50 ने 26% मुनाफा दिया। 2012 से सोना 2.25 गुना और निफ्टी 50 4.25 गुना बढ़ा। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स ने निफ्टी 50 को मुनाफे में पीछे छोड़ा। सरकार ने 67 सीरीज जारी की, जिनमें...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 2 Sep 2024 11:54 AM
share Share

नई दिल्ली, हिन्दुस्तान ब्यूरो। पिछले साल सोना लगभग 22 प्रतिशत चढ़ा था वहीं, शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 50 समान अवधि में लगभग 26 फीसदी का मुनाफा देकर गया। लंबी अवधि में देखे तो 2012 से सोना 2.25 गुना बढ़ा है वहीं निफ्टी 50 ने 4.25 गुना की बढ़त बनाई है। हालांकि, निफ्टी 50 की कंपनियों में मिलने वाले लाभांश को इसमें जोड़ दें तो वह मुनाफा देने में सोने से काफी आगे बैठता है। लेकिन भौतिक सोने के मुकाबले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड मुनाफे मामले में लगातार निफ्टी 50 को बराबर टक्कर दे रहा है। सरकार ने अब तक 67 गोल्ड बॉन्ड सीरीज जारी की हैं। इनमें से 30 सीरीज अब तक परिपक्वता के लिए तैयार हैं उनमें से 21 ने मुनाफे के मामले में निफ्टी 50 को पीछे छोड़ दिया है।

आठ साल के लिए होते हैं जारी

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड आठ साल के लिए जारी किए जाते हैं लेकिन उन्हें पांच साल बाद भुनाया जा सकता है। इन्हें भौतिक सोने के प्रचलित दामों पर ही जारी किया जाता है जिससे निवेशक सोना खरीदे बिना सोने में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा इन बॉन्ड पर 2.5-2.75 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज भी मिलता है। इस पर मिलेन वाले ब्याज पर तो टैक्स लगता है लेकिन भुनाने पर पूंजीगत लाभकर नहीं लगता। सरकार ने

बॉन्ड की मांग में तेजी

केंद्र सरकार ने 2015 से लेकर अब तक गोल्ड बांड के माध्यम से ₹72,264 करोड़ रुपये जुटाए हैं। बीते दिसंबर और इस साल फरवरी में जारी दो गोल्ड बॉन्ड में निवेशकों ने कुल मिलाकर लगभग ₹15,500 करोड़ रुपये का निवेश किया था। अब तक जारी 67 गोल्ड बॉन्ड में हासिल कुल रकम का लगभग पांचवां हिस्सा इन दोनों निर्गम में मिला है। यह देखते हुए कि गोल्ड बॉन्ड पर 16 से लेकर 19 फीसदी तक वार्षिक रिटर्न मिल रहा है, सेकेंडरी बाजार में इन बॉन्ड की कीमतें बढ़ गई हैं। दिसंबर में जारी एसजीबी की कीमत जनवरी से लेकर अब तक लगभग 29% बढ़ गई है। फरवरी में जारी किए गए बांड और भी अधिक आकर्षक रहे हैं, जो मार्च के बाद से समान रिटर्न दे रहे हैं। इस तेजी की वजह निवेशकों की यह धारणा है कि सरकार ऐसे बांड जारी करने की गति धीमी कर सकती है, क्योंकि उन पर उसे बहुत अधिक रिटर्न देना पड़ता है।

शुल्क में कटौती के झटके से उबरा

केंद्रीय वित्त मंत्री ने 23 जुलाई को बजट में सोने और चांदी पर सीमा शुल्क को 15 से घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था। गौरतलब है कि सोने पर सीमा शुल्क में लगातार बढ़ोतरी हुई थी यह 2012 में दो प्रतिशत था जो जुलाई 2022 में 15% तक पहुंच गया था। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक, हालिया कटौती इस अवधि के दौरान सबसे तेज है और सीमा शुल्क दरें जनवरी 2013 के स्तर पर पहुंच गई हैं। दर में कटौती का एक उद्देश्य सोने की तस्करी को कम करना था। इसके तत्काल बाद सोने की नीचे गिरीं लेकिन फिर बढ़नी शुरू हो गईं। यह तब से लगातार बढ़ ही रही हैं। पिछले एक महीने में, सोने की कीमतों में लगभग पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस तर्ज पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। शुल्क में कटौती से इस साल त्योहारी सीजन से पहले सोने की मांग बढ़ने की उम्मीद है। जानकारों को उम्मीद है कि गोल्ड बॉन्ड की कीमतें मौजूदा स्तर से और मजबूत होंगी।

तेजी बरकरार रहने की उम्मीद

वर्ष 2015-16 में जारी की गई गोल्ड बॉन्ड की चार किश्तें पूरी तरह से परिपक्व हो गई हैं और भुना ली गई हैं। सरकार ने जुटाए गए ₹2,238 करोड़ के मुकाबले ₹5,147 करोड़ का भुगतान किया। इसमें बॉन्ड पर देय ब्याज शामिल नहीं है। गोल्ड बॉन्ड की अन्य 26 किश्तें पांच साल की अवधि पार कर चुकी हैं और जल्द ही इन्हें भुनाया जा सकेगा। हालांकि, निवेशकों ने बॉन्ड के बढ़ते आकर्षण को देखते हुए इन्हें भुनाने से परहेज किया है। इन 26 किस्तों में लगी रकम में से अब तक केवल ₹786 करोड़ के बॉन्ड ही भुनाए गए हैं। वर्ष 2019-20 की सीरीज में बमुश्किल किसी निवेशक ने बॉन्ड को भुनाया। यह इस बारे में बहुत कुछ कहता है कि वर्तमान में सोने को निवेश विकल्प के रूप में कैसे देखा जाता है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें