Hindi Newsएनसीआर न्यूज़नई दिल्लीScientists Discover Method to Break Down Fat Cells for Diabetes Relief

फैट टिशू को पतला कर मधुमेह से मिलेगी मुक्ति

- हृदय रोग और मोटापे से भी मिल सकता है छुटकारा नंबर गेम

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 23 Nov 2024 01:22 PM
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न्यूयॉर्क, एजेंसी। वैज्ञानिकों ने मधुमेह के लिए जिम्मेदार वसायुक्त कोशिकाओं को टुकड़ों में बांटकर उन्हें पतला करने में सफलता हासिल की है। माना जा रहा है कि यह तरीका मधुमेह से मुक्ति दिलाने में कारगर साबित हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजेल्स (यूसीएलए) के शोधार्थियों ने यह कामयाबी हासिल की है। अध्ययन विज्ञान पत्रिका सेल रिपोर्ट में प्रकाशित हुआ है।

शोधार्थियों ने बताया, अधिकतर मोटापे के शिकार लोग टाइप-2 मधुमेह का शिकार बन जाते हैं, जिसका हम जैविक कारण जानने में सफल रहे हैं। हमने पाया कि जब वसा कोशिकाएं प्राकृतिक रूप से अपने आकार को घटाती है, तो मधुमेह के रोगी राहत महसूस करते हैं। इसके विपरीत आकार बढ़ने पर शरीर में परेशानी बढ़ने लगती है। यह जानने से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यदि वसा कोशिकाओं को टुकड़ों में बांटकर पतला कर दिया जाए तो मधुमेह से राहत मिल सकती है। हमारा तरीका वसा कोशिकाओं को अलग करने, उन्हें छोटा या नया रूप देकर उनमें बदलाव करना है, जिससे उन्हें कुछ हद तक निष्क्रिय किया जा सके। हमारा अध्ययन टाइप-2 मधुमेह समेत अन्य कई बीमारियों के नए उपचारों का विकास कर सकता है। हृदय रोग से लेकर मोटापे तक में इससे छुटकारा मिल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनियाभर में 42.2 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। बीते 40 सालों में मधुमेह की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या चार गुना बढ़ गई है।

बीमारी का जैविक कारण जाना

शोधार्थियों ने दावा किया कि उन्होंने टाइप-2 मधुमेह के लिए जिम्मेदार जैविक कारण को समझने में सफलता हासिल कर ली है। उन्होंने बताया, मोटापा शरीर में राइबोसोमल (वसा में मौजूद एक प्रकार का द्रव्य) का उत्पादन करने की शरीर की क्षमता को सीमित करता है। इसके बिना वसा स्टेम कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ जाता है। इसके विपरीत जरूरी कोशिकाओं को ऊर्जा नहीं मिल पाती है। इससे वसा कोशिकाएं बड़ी हो जाती हैं और मधुमेह अनियंत्रित हो जाता है। जब वसा कोशिकाएं भोजन से मिलने वाली ऊर्जा को संग्रहीत नहीं कर पातीं तो वे वसा को लिवर या हृदय की ओर भेज देती हैं। इससे स्ट्रोक जैसी हृदय संबंधी बीमारियां होती हैं।

इस तरह मिली सफलता

वैज्ञानिकों ने रोसिग्लिटाजोन नामक एक कैमिकल कंपाउंड का इस्तेमाल किया। इससे प्रयोगशाला में सामान्य कोशिकाओं की तुलना में चार-पांच गुना मोटी कोशिकाओं को तोड़ने में सफलता मिल सकी। रोसिग्लिटाजोन ने वसा कोशिकाओं में दरार पैदा कर दीं जिससे वे छोटे टुकड़ों में बंट गईं। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह प्रयोग अभी अपने प्रारंभिक चरण में है। मनुष्यों पर रोसिग्लिटाजोन का इस्तेमाल अभी नहीं किया जा सकता है।

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