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भारत की ताकत एकजुटता में निहित है: भागवत

कोच्चि में एक बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत की ताकत एकता में है। उन्होंने विभिन्नता में एकता की आवश्यकता बताई और कहा कि हिंदू जीवनशैली सभी मुद्दों का समाधान देती है। भागवत ने समाज...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 19 Jan 2025 11:13 PM
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- वडयाम्बडी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक बैठक को संबोधित किया कोच्चि, एजेंसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत की ताकत एकजुटता में निहित है। विभिन्नता में एकता भारत की ताकत है। तुच्छ मानसिकता वाले लोग समाज को भाषा, रंग या पंथ के आधार पर बांट देते हैं। उन्होंने विश्व को एक परिवार बनाने का आह्वान किया।

वडयाम्बडी में आरएसएस की एक बैठक को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि हिंदू जीवनशैली सभी मुद्दों का समाधान प्रदान करती है और दुनिया में परम शांति लाती है। भागवत ने कहा कि आरएसएस हिंदू समाज को एकजुट कर रहा है और धर्म की रक्षा के माध्यम से दुनिया को सार्थक समाधान प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा, बदलाव केवल अवतारों के आने से नहीं होता। उन्होंने कहा, ऐसा कहा जाता है कि जो लोग खुद की रक्षा नहीं कर पाते, उन्हें भगवान भी नहीं बचा सकते। हम भारत की संतान हैं। यदि हमारी मातृभूमि लाखों बच्चों के होते हुए भी कमजोर हो जाती है, तो हमारा क्या कर्तव्य है? उन्होंने कहा, इस कर्तव्य को पूरा करने के लिए हमें शक्ति की आवश्यकता है, शक्ति को प्रभावी बनाने के लिए हमें अनुशासन और ज्ञान की आवश्यकता है।

भागवत ने कहा, परिस्थितियों की परवाह किए बिना दृढ़ निश्चय और उद्देश्य की अटूट भावना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केवल ऐसे मानव विकास को बढ़ावा देना ही आरएसएस का मुख्य मिशन है। उन्होंने कहा कि भारत भी विभिन्न संघर्षों को देख रहा है। किसान, उपभोक्ता, श्रमिक और यहां तक ​​कि सत्तारूढ़ और विपक्षी दल भी आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे समस्याओं की सूची बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि हालांकि, इन मुद्दों का समाधान भारत के भीतर ही है। भागवत ने कहा, भारतीय दर्शन सभी को एकजुट करने के बारे में है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के फायदे के लिए एक ताकतवर राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि इसकी विशिष्ट विशेषता इसकी अनूठी सांस्कृतिक एकता है, जो विविधता को अपने में समाहित करती है। उन्होंने कहा, यह वह भूमि है जहां लोग काशी से गंगा जल लेकर आते हैं और रामेश्वरम में इसे चढ़ाते हैं। कालडि में जन्मे आदि शंकराचार्य ने देश के चारों कोनों में मठों की स्थापना करके इस एकता को मजबूत किया।

बैठक में आरएसएस के दक्षिण क्षेत्र संघचालक आर. वन्नियाराजन और दक्षिण केरल प्रांत संघचालक एमएस रामेसन मौजूद थे। भागवत कुछ संगठनात्मक गतिविधियों में शामिल होने के लिए 16 से 21 जनवरी तक केरल की यात्रा पर हैं।

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