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अपडेट:::मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भागवत के बयान को सराहा

नोट-- हेडिंग सही की गई है। -------------------- - कहा,

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 21 Dec 2024 10:56 PM
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नोट-- हेडिंग सही की गई है। --------------------

- कहा, देश के मूल ताने-बाने पर हमला करने वालों के लिए मार्गदर्शक

- संघ प्रमुख ने बार-बार मंदिर-मस्जिद विवाद उठाने पर जताई थी चिंता

नई दिल्ली, एजेंसी

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी समेत प्रतिष्ठित मुसलमानों के एक सिविल सोसाइटी समूह ने शनिवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की समावेशी समाज की वकालत और मंदिर-मस्जिद विवाद पर चिंता को लेकर दिए गए बयान की सराहना की। साथ ही उम्मीद जताई कि भागवत का बयान उन लोगों के लिए एक मार्गदर्शक होगा, जो देश के मूल ताने-बाने पर हमला कर रहे हैं।

भागवत ने पुणे में गुरुवार को एक व्याख्यान दिया था। उसमें उन्होंने हाल में कई मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता व्यक्त की थी। साथ ही कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है कि ऐसे मुद्दों को उठाकर वह हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। व्याख्यान में भागवत ने समावेशी समाज की वकालत की थी और कहा था कि दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि देश सद्भावना के साथ एक साथ रह सकता है।

भागवत को लिखे पत्र में सिविल सोसाइटी समूह सिटिजन्स फॉर फ्रेटरनिटी ने कहा कि भागवत के बयान से हम बहुत खुश हैं। भारतीय मुसलमान और ईसाई होने के नाते हम समाज के एक वर्ग द्वारा हाल ही में कही गई बातों और कुछ घटनाओं से बेहद चिंतित हैं। इन सब के कारण गंभीर सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ है। कुरैशी के अलावा दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति जमीरुद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी और उद्योगपति सईद शेरवानी द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि सरसंघचालक का बयान बहुत महत्वपूर्ण है। यह भारत और दुनिया भर में अच्छी सोच रखने वालों को उम्मीद देता है।

‘देश एकजुट और विकसित होगा

अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने भी शनिवार को कहा कि अगर लोग भागवत की बातों को अपनाएंगे तो देश एकजुट होगा। इससे हमारा देश विकसित होगा। भागवत का बयान सही है। उन्होंने 2022 में भी कहा था कि हमें हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग नहीं ढूंढ़ना चाहिए।

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