भारत-सिंगापुर के रिश्ते आगे ले जाने का सही समय : जयशंकर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिंगापुर दौरे से भारत और सिंगापुर के द्विपक्षीय संबंधों को नए स्तर पर ले जाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि भारत और सिंगापुर के संबंध...
सिंगापुर, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक यात्रा पर सिंगापुर पहुंचने से पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि दोनों देशों के लिए अपने द्विपक्षीय संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने का समय आ गया है। सिंगापुर के एक दैनिक समाचार पत्र ने जयशंकर के साक्षात्कार के हवाले से कहा, भारत में हो रहे परिवर्तन और दुनिया में हो रहे बदलावों को देखते हुए कई मायनों में उन्हें और अधिक समकालीन बनने की जरूरत है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही सिंगापुर की यात्रा करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि भारत और सिंगापुर के द्विपक्षीय संबंध पिछले दो दशक में बेहद मजबूत रहे हैं। मंत्री ने कहा कि जिस तरह सिंगापुर को 1992 में और फिर 2006 में अवसर मिला था, उसी तरह उसे इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहिए और नए परिदृश्य का पूरा उपयोग करना चाहिए।
जयशंकर ने कहा, ईमानदारी से कहूं तो कभी-कभी मुझे लगता है कि आपकी धारणाएं कुछ पुरानी हैं। मंत्री ने कहा, भारत में, हम बीते दशक की उपलब्धियों का उपयोग राष्ट्रीय विकास और आधुनिकीकरण में तेजी लाने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों से परे, अस्थिर और अनिश्चित दुनिया में घनिष्ठ सहयोग का मुद्दा भी है। मंत्री ने कहा, इस संबंध में, हमें यह पहचानना होगा कि हमारी साझेदारी अत्यधिक विश्वास और समझ पर आधारित है। उन्होंने कहा, ये विशेषताएं हमें आकलनों को साझा करने और अपनी समानताओं का पता लगाने में सक्षम बनाती हैं।
जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री के मन में सिंगापुर के लिए हमेशा से विशेष भावना रही है और नेतृत्व का यह जुड़ाव पहले से कहीं अधिक मायने रखेगा। जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त रह चुके हैं और उन्हें इसकी बहुत अच्छी समझ है। यह पूछे जाने पर कि भारत द्विपक्षीय संबंधों को किस दिशा में ले जाना चाहता है, मंत्री ने कहा, तब से अब तक हम काफी आगे बढ़ चुके हैं। जैसा कि मैंने कहा, हमारे संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने का समय आ गया है, जो दोनों देशों की मौजूदा वास्तविकताओं के साथ-साथ दुनिया की स्थिति को भी दर्शाता है।
खाड़ी देशों से भारत के संबंध मजबूत हुए
मंत्री ने इस धारणा पर भी टिप्पणी की कि भारत का अपने विस्तारित पड़ोस में मुख्य ध्यान अब आसियान नहीं, बल्कि खाड़ी पर है। उन्होंने कहा, मैं ‘या तो यह या वह का दृष्टिकोण नहीं अपनाऊंगा। पिछले दशक में खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंध निश्चित रूप से मजबूत हुए हैं। उन्होंने कहा, पहले की सरकारें इन्हें व्यापार, ऊर्जा और प्रवासी समुदाय के नजरिये से संकीर्ण दृष्टि से देखती थीं। इसके विपरीत, मोदी सरकार की नीतियों में निवेश, प्रौद्योगिकी, सुरक्षा और संपर्क सुविधा को भी शामिल किया गया है। जयशंकर ने कहा, हमें निश्चित रूप से लगता है कि हमारे समुदाय के योगदान को (खाड़ी में) अधिक मजबूती से मान्यता दी गई है।
-
एक्ट ईस्ट नीति में भी सिंगापुर की केंद्रीय भूमिका
जयशंकर ने कहा कि सिंगापुर भारत की लुक ईस्ट नीति का आधार था। उन्होंने कहा, सिंगापुर हमारी लुक ईस्ट नीति के स्पष्ट रूप से केंद्र में था और अब एक्ट ईस्ट नीति में भी उसकी समान रूप से केंद्रीय भूमिका है। यदि आप इस विकास को दर्शाने वाले नए क्षेत्रों को देखें, तो सुरक्षा, संपर्क सुविधा, प्रौद्योगिकी और स्थिरता में सिंगापुर की साझेदारी स्पष्ट है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।