सीमा पर शांति हमारी प्राथमिकता : मोदी
रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच 50 मिनट की द्विपक्षीय वार्ता हुई। दोनों नेताओं ने सीमा विवाद को सुलझाने, आपसी सहयोग और विश्वास बनाए रखने पर...
- रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर मोदी ने जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की - 5 साल बाद मोदी-जिनपिंग के बीच हुई औपचारिक द्विपक्षीय बातचीत
- 50 मिनट तक दोनों नेताओं ने की एक दूसरे से चर्चा
कजान, एजेंसी। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर बुधवार को रूस के कजान में पांच साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बातचीत हुई। इस दौरान दोनों नेताओं ने सीमा विवाद को जल्द से जल्द निपटाने, आपसी सहयोग और आपसी विश्वास को बनाए रखने पर जोर दिया। मोदी और जिनपिंग ने सहमति जताई की भारत और चीन परिपक्वता और आपसी सम्मान से ‘शांतिपूर्ण और स्थिर संबंध बना सकते हैं। मोदी और शी ने बीते दिनों हुए गश्त समझौते का समर्थन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता रहनी चाहिए।
मोदी ने मतभेदों और विवादों को ठीक से संभालने और उन्हें शांति और शांति को भंग न करने देने के महत्व पर जोर दिया। मोदी ने ‘एक्स पर एक पोस्ट में कहा, भारत-चीन संबंध हमारे देशों के लोगों और क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, परस्पर विश्वास, परस्पर सम्मान और परस्पर संवेदनशीलता द्विपक्षीय संबंधों को राह दिखाएंगे।
विशेष प्रतिनिधियों को अहम भूमिका निभानी होगी
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस वार्ता में जानकारी दी, दोनों नेताओं ने कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद मुद्दे का हल करने और सीमावर्ती इलाकों में शांति तथा स्थिरता बरकरार रखने के लिए विशेष प्रतिनिधियों को एक अहम भूमिका निभानी होगी। मोदी और शी ने विशेष प्रतिनिधियों को शीघ्र बैठक करने और अपने प्रयास जारी रखने के निर्देश दिए। मिस्री ने कहा, हम विशेष प्रतिनिधियों की अगली बैठक एक उपयुक्त समय पर होने की उम्मीद कर रहे हैं।
विदेश सचिव ने कहा कि मोदी और शी ने द्विपक्षीय संबंधों की रणनीतिक एवं दीर्घकालिक दृष्टिकोण से समीक्षा की। दोनों नेताओं का मानना है कि दोनों देशों के बीच स्थिर संबंध का क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक असर पड़ेगा। मिस्री ने कहा कि मोदी और शी, दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि परिपक्वता और समझदारी के साथ तथा एक-दूसरे का सम्मान कर भारत और चीन के बीच शांतिपूर्ण और स्थिर संबंध हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द की बहाली से संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में आगे बढ़ने की गुंजाइश बनेगी। उन्होंने कहा कि अधिकारी अब आधिकारिक वार्ता तंत्र का उपयोग करके रणनीतिक संवाद बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने पर चर्चा करने के लिए अगले कदम उठाएंगे।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में 2020 में उत्पन्न हुए मुद्दों के पूर्ण समाधान और सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिए हाल में हुए समझौते का स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने मतभेदों और विवादों से सही तरीके से निपटने और इन्हें शांति व स्थिरता भंग करने की अनुमति नहीं देने के महत्व पर जोर दिया।
बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि दो पड़ोसी देशों और दुनिया के दो सबसे बड़े राष्ट्रों के रूप में भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा, यह बहुध्रुवीय एशिया और बहुध्रुवीय विश्व में भी योगदान देगा।
बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने, रणनीतिक संवाद बढ़ाने और विकासात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग की संभावना तलाशने की आवश्यकता पर जोर दिया।
मई 2020 में पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद उत्पन्न होने के बाद दोनों देशों के बीच शीर्ष स्तर पर यह पहली बैठक थी।
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