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चंद्रयान-4 और गगनयान मिशन को सफल बनाना लक्ष्य : वी नारायणन

तिरुवनंतपुरम में, वी नारायणन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि इसरो चंद्रयान-4 और गगनयान जैसे महत्वपूर्ण मिशनों पर काम कर रहा है। उन्होंने...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 8 Jan 2025 05:16 PM
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तिरुवनंतपुरम, एजेंसी। प्रख्यात रॉकेट वैज्ञानिक एवं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नवनियुक्त अध्यक्ष वी नारायणन ने बुधवार को कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी एक सफल दौर से गुजर रही है और उसके पास चंद्रयान-4 तथा गगनयान जैसे मिशन हैं। जिन्हें सफल बनाना उनका लक्ष्य है। एक आधिकारिक आदेश के अनुसार वी नारायणन को मंगलवार को अंतरिक्ष विभाग का सचिव नियुक्त किया गया, जो एस सोमनाथ का स्थान लेंगे। अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के अध्यक्ष के रूप में अपने नए कार्यकाल पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस उत्कृष्ट संस्था का हिस्सा बनने पर वह खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं। नारायणन ने बताया कि इस नई नियुक्ति के बारे में जानकारी सबसे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने उन्हें दी थी। प्रधानमंत्री सब कुछ तय कर रहे हैं। मौजूदा अध्यक्ष एस सोमनाथ ने भी फोन कर नई नियुक्ति के बारे में जानकारी दी।

कई महत्वपूर्ण मिशन पर चल रहा काम

इसरो की आगामी परियोजनाओं के बारे में नवनियुक्त अध्यक्ष ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी कई महत्वपूर्ण मिशनों पर काम कर रही है। इसरो ने 30 दिसंबर को 'स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट' (स्पाडेक्स) मिशन की शुरुआत की थी और 'स्पाडेक्स' उपग्रहों का डॉकिंग प्रयोग नौ जनवरी को किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत में जीएसएलवी के जरिए नौवहन उपग्रह 'एनवीएस 02' के प्रक्षेपण का कार्य श्रीहरिकोटा में प्रगति पर है। इसरो के मार्क III वाहन के जरिए अमेरिका के एक वाणिज्यिक उपग्रह को भेजने और गगनयान (जी 1) के हिस्से के रूप में 'रॉकेट असेंबली' का काम भी श्रीहरिकोटा में प्रगति पर है।

चांद से नमूने लेकर वापस आना लक्ष्य

नारायणन ने कहा कि जैसा कि सभी जानते हैं, भारत चंद्रयान 3 मिशन के माध्यम से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। अब चंद्रयान 4 का उद्देश्य वहां उतरना और नमूने एकत्र करके वापस आना है। इस संबंध में काम पहले ही शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि गगनयान इसरो का एक और प्रमुख कार्यक्रम है। इसके तहत मानवरहित मॉड्यूल या मानवरहित रॉकेट के प्रक्षेपण से संबंधित कार्य सफलतापूर्वक प्रगति पर हैं।

अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की तैयारी

इसरो प्रमुख नारायणन ने भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने हमारे लिए एक अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की मंजूरी दे दी है। अंतरिक्ष स्टेशन में पांच मॉड्यूल होंगे और उनमें से पहले को 2028 के दौरान लॉन्च करने की मंजूरी दे दी गई है।

स्टालिन सहित कई नेताओं ने बधाई दी

चेन्नई, एजेंसी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और अन्य नेताओं ने वी नारायणन को इसरो का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर बुधवार को बधाई दी। स्टालिन ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि राज्य से ताल्लुक रखने वाले नारायणन को शीर्ष पद पर नियुक्त किया गया है। साथ ही उन्होंने वैज्ञानिक को हार्दिक बधाई भी दी। स्टालिन के अलावा पट्टाला मक्कल काचि पीएमके अध्यक्ष डॉ. अंबुमणि रामदास और अन्नाद्रमुक के नेता टीटीवी दिनाकरन ने नारायणन की सराहना की।

नारायणन का प्रोफाइल

आईआईटी के टॉपर रहे हैं नारायणन

जन्म : तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में नागरकोइल के पास मेलाकट्टू गांव में हुआ।

शिक्षा : प्रारंभिक स्कूली शिक्षा गृहनगर में ही पूरी की।

- डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग (डीएमई) में प्रथम रैंक हासिल की।

- आईआईटी खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एम.टेक किया। प्रथम रैंक अर्जित की।

- एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की।

उपलब्धियां

- 1984 में इसरो में शामिल हुए। शुरू के साढ़े चार साल विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में काम किया।

- जनवरी 2018 में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) का निदेशक नियुक्त किया गया। उन्होंने ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एएसएलवी) और रोहिणी साउंडिंग रॉकेट के लिए सॉलिड प्रोपल्शन सिस्टम बनाने में मदद की।

- जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (जीएसएलवी एमके III) सी25 क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे।

- नारायण की देखरेख में ही पीएसएलवी के दूसरे और चौथे चरण का निर्माण हुआ और पीएसएलवी सी57 के लिए कंट्रोल पावर प्लांट भी तैयार किया गया।

- उनका आदित्य स्पेसक्राफ्ट, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के लिए प्रोपल्शन सिस्टम में भी योगदान रहा।

अवॉर्ड और सम्मान

आईआईटी खड़गपुर से सिल्वर मेडल प्राप्त किया। एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया से गोल्ड मेडल और एनडीआरएफ से नेशनल डिजाइन अवॉर्ड।

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