रूसी सेना से भारतीयों की रिहाई में अड़चन बने ‘करार
रूस की सेना में सेवा दे रहे 68 भारतीयों की रिहाई अभी भी रुकी हुई है। रूसी अधिकारियों ने उनके मिलिट्री सर्विस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द नहीं किया है। इस मुद्दे को प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई में पुतिन के साथ...
नई दिल्ली, रिज़ाउल एच लस्कर। रूस की सेना में सेवा दे रहे 68 भारतीयों की रिहाई को लेकर अब भी प्रक्रिया रुकी हुई है। इसके पीछे करार (कॉन्ट्रैक्ट) को वजह बताया जा रहा है। दरअसल, रूसी अधिकारियों ने उनके ‘मिलिट्री सर्विस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द नहीं किया है। मामले से जुड़े लोगों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया, यूक्रेन के साथ युद्ध में लड़ते हुए कम से कम नौ भारतीयों की मौत हो चुकी है। इसके बाद, रूसी सैन्य इकाइयों में सहायक स्टाफ के रूप में काम कर रहे भारतीय नागरिकों की रिहाई और उन्हें भारत भेजने का मुद्दा संवेदनशील बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को जुलाई में मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी मुलाकात के दौरान उठाया था। तब से यह मामला नई दिल्ली और मॉस्को के बीच राजनयिक चैनलों के माध्यम से उठाया गया है।
सूत्रों ने बताया, भारतीयों की रिहाई में देरी का मुख्य कारण यह है कि रूस के रक्षा मंत्रालय ने अभी तक उनके वार्षिक मिलिट्री सर्विस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए हैं। भारत सरकार इस मुद्दे पर लगातार रूसी अधिकारियों के संपर्क में है और इस समस्या के समाधान की कोशिश की जा रही है।
करार रद्द न होने की ये वजहें
- रूसी रक्षा मंत्रालय को एक नए कानून की जरूरत है, जिससे इन करार को रद्द किया जा सके और अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।
- अन्य देशों के नागरिकों द्वारा हस्ताक्षरित अनुबंधों पर इस तरह के रद्दीकरण का क्या प्रभाव पड़ेगा, इसे लेकर आशंकाएं हैं।
15 भारतीयों की वापसी हो चुकी
हाल के हफ्तों में सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, कुल 91 भारतीयों को रूसी सेना में भर्ती किया गया था और उनमें से 15 को रिहा कर भारत वापस भेज दिया गया है। वर्तमान में 68 भारतीय रूसी सेना से रिहाई का इंतजार कर रहे हैं।
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