चीफ सीआरएस ने रेलवे के सिग्नल सिस्टम पर उठाए सवाल
- रेलवे बोर्ड के सचिव को कंचनजंगा ट्रेन हादसे से संबंधित अंतिम रिपोर्ट सौंपी -
अरविंद सिंह नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के दार्जिंलिंग में 17 जून को कंचनजंगा ट्रेन को पीछे से मालगाड़ी के टक्कर मारने की घटना के लिए चीफ सीआरएस (मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त) ने भारतीय रेलवे के ट्रेन परिचालन तंत्र को कठघरे में खड़ा किया है। चीफ सीआरएस की रिपोर्ट में विशेषकर देशभर में तेजी से लगाए जा रहे ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम पर प्रश्न चिह्न लगाया गया है। उन्होंने रेलवे के शोध संस्थान आरडीएसओ और सिग्नल सिस्टम के लिए उपकरण आपूर्ति कंपनियों को संयुक्त रूप से समीक्षा करने का सुझाव दिया है।
इस रिपोर्ट का उद्देश्य भारतीय रेल के सिग्नल सिस्टम को फुलप्रूफ बनाना और सिग्नल फेल होने के चलते ट्रेन दुर्घटनाओं के सिलसिले पर अंकुश लगाना है। इस हादसे में लोको पॉयलट, गार्ड सहित 10 लोगों की मृत्यु व 43 यात्री घायल हो गए थे।
बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताईः
चीफ सीआरएस (दिल्ली) जनक कुमार गर्ग ने 30 सितंबर को रेलवे बोर्ड के सचिव को कंचनजंगा ट्रेन दुर्घटना संबंधी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के पहले बिंदु में चीफ सीआरएस ने ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम में सिग्नल फेल होने की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई है। इसमें कहा गया कि जनवरी 2023 में कटिहार डिविजन में पहली बार ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम शुरू किया गया। 20 जून तक डिविजन में 275 बार सिग्नल सिस्टम फेल (प्रति माह 15 सिग्नल) हुए।
समीक्षा और सुधार की जरूरतः
रिपोर्ट में कहा गया कि मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर डिवाइस (एमएसडीएसी) के कारण बार-बार सिग्नल फेल हो रहे हैं। दुर्घटना वाले दिन (17 जून को) रंगापानी-छतरहाट के सेक्शन पर सुबह से ऑटोमैटिक सिग्नल खराब होने के कारण हादसा हुआ। चीफ सीआरएस ने बार-बार ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम फेल होने को ट्रेन चलाने में अड़चन के साथ रेल संरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि आरडीएसओ को मूल उपकरण निर्माता कंपनी के साथ मिलकर सिग्नल सिस्टम की समीक्षा व सुधार करने की जरूरत है।
...
सुरक्षा उपकरणों में भारी कमी
रिपोर्ट में लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर को दिए जाने वाले सुरक्षा उपकरण वॉकी-टॉकी की भारी कमी का उल्लेख है। कटिहार डिवजिन में 732 वॉकी-टॉकी की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 303 काम कर रहे थे और 421 वॉकी-टॉकी डिविजन के पास नहीं थे। डिविजन इसे समय पर आपूर्ति करने में विफल रहा और जोनल रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी इसकी निगरानी नहीं कर सके। वहीं, ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम खराब होने पर सेक्शन में कितनी ट्रेनें हैं, ट्रेनों की रफ्तार आदि की जानकारी लेने के लिए पायलट-ट्रेन मैनेजर के पास वॉकी-टॉकी होना अनिवार्य है। इस प्रकार हादसे के लिए डिविजन-जोन के अधिकारी जवाबदेह हैं।
...
सीयूजी मोबाइल का दुरुपयोग हुआ
लोको पायलट व ट्रेन मैनेजर ने अपने सीयूजी मोबाइल का दुरुपयोग किया। रेलवे बोर्ड के वर्ष 2012 के नियम के अनुसार ट्रेन चलाते समय ट्रेन क्रू सदस्य सीयूजी नंबर का व्यक्तिगत प्रयोग नहीं कर सकते, लेकिन हादसे वाले दिन लोको पायलट व ट्रैन मैनेजर के सीयूजी नंबर पर तमाम फोन आए और उन्होने कॉल भी किया।
...
हादसे से भारी नुकसान
कंचनजंगा ट्रेन हादसे में दो करोड़ 77 लाख 64 हजार 853 रुपए का नुकसान हुआ। मालगाड़ी के कंचनजंगा से टकराने पर रेलवे ट्रैक, सिग्नल सिस्टम, इंजन-डिब्बे, कोच आदि क्षतिग्रस्त हुए। इसके अलावा 40 मालगाड़ियों की लोडिंग नहीं हो सकी। 65 यात्री ट्रेनें रद करनी पड़ीं और 74 को मार्ग परिवर्तित कर चलाया गया। यह रेलवे का अलग से नुकसान हुआ।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।