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Hindi Newsएनसीआर न्यूज़नई दिल्लीIndia s Retail Inflation Rises Slightly to 3 65 in August Amid Vegetable Price Surge

सब्जियों के दाम बढ़ने से खाद्य महंगाई में मामूली इजाफा

शोल्डर ------ अगस्त में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दर 5.66 फीसदी पर रही नई

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 12 Sep 2024 02:11 PM
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नई दिल्ली, एजेंसी। देश में खुदरा महंगाई दर अगस्त महीने में मामूली बढ़कर 3.65 प्रतिशत पर रही। जुलाई में 3.6 प्रतिशत पर थी, जबकि बीते वर्ष अगस्त में यह 6.83 प्रतिशत थी। जानकारों का कहना है कि मामूली बढ़ोतरी के बावजूद लगातार दूसरे महीने खुदरा महंगाई दर काबू में रही। हालांकि, सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते खाद्य महंगाई दर में भी थोड़ा इजाफा देखने को मिला। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अगस्त महीने में मामूली बढ़कर 5.66 प्रतिशत रही, जो जुलाई में 5.42 प्रतिशत थी। अगस्त में सब्जियों की महंगाई दर में बढ़ोतरी देखने को मिली, जो बढ़कर 10.71 फीसदी पर पहुंच गई। जुलाई में यह 6.83 फीसदी पर थी। वहीं, दालों की महंगाई में गिरावट देखने को मिली, जो मासिक आधार पर 14.77 फीसदी से घटकर 13.60 फीसदी पर आ गई। इसके अलावा कपड़ा, जूता-चप्पल महंगाई 2.66 फीसदी पर पहुंच गई है, जो जुलाई में 2.67 फीसदी पर थी।

ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में भी महंगाई बढ़ी

ग्रामीण महंगाई में भी बढ़ोतरी दखने को मिली है। ग्रामीण महंगाई दर अगस्त में 4.16 फीसदी पर पहुंच गई, जो जुलाई में 4.10 फीसदी थी। इसी तरह शहरी महंगाई बढ़कर 3.12 फीसदी पर पहुंच गई है, जो जुलाई के महीने में 2.98 फीसदी पर थी।

लगातार दूसरे माह काबू में

सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को खुदरा महंगाई दर को दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। यह लगातार दूसरा महीना है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति चार फीसदी से नीचे बनी हुई थी। यह जुलाई में पांच साल के लंबे अंतराल के बाद चार फीसदी से नीचे पहुंची थी। मिंट के सर्वे में भी अर्थशास्त्रियों ने अगस्त में खुदरा महंगाई दर 3.5 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया था।

रेपो दर में कटौती की उम्मीदें बढ़ीं

विशेषज्ञों का कहना है कि अगस्त में खुदरा महंगाई का आंकड़ा उम्मीद के मुताबिक चार फीसदी से नीचे रहा है। आरबीआई रेपो दर तय करते समय खुदरा महंगाई पर भी गौर करता है। यह आरबीआई के तय लक्ष्य से नीचे है। ऐसे में रिजर्व बैंक दिसंबर में होने वाली मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक में प्रमुख ब्याज दर (रेपो दर) में कटौती पर फैसला ले सकता है।

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