जयशंकर ने बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की जोरदार वकालत की
नई दिल्ली में ग्लोबल साउथ सम्मेलन में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की वकालत की और विकासशील देशों को कम लागत वाले वित्तपोषण एवं महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां प्रदान करने का...
- शिखर सम्मेलन के विदेश मंत्रियों के सत्र को संबोधित किया - अर्थव्यवस्था को जोखिम मुक्त बनाने को उत्पादन में विविधता लाने की जरूरत
नई दिल्ली, एजेंसी। भारत ने शनिवार को एक बार फिर प्रमुख बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि यह एक निर्विवाद तथ्य है कि जब वैश्विक व्यवस्था को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा तो संबंधित संस्थाएं समाधान नहीं दे पाईं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तीसरे ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन में अपने संबोधन में विकासशील देशों को कम लागत वाले वित्तपोषण और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां प्रदान करने का भी आह्वान किया।
जयशंकर ने कहा, यह एक निर्विवाद तथ्य है कि वैश्विक व्यवस्था के समक्ष गंभीर चुनौतियां होने के बावजूद बहुपक्षीय संस्थाओं से समाधान नहीं निकल पाया। शिखर सम्मेलन के विदेश मंत्रियों के सत्र में उन्होंने कहा कि इसका कारण बहुपक्षीय संगठनों का ध्रुवीकरण है। उन्होंने कहा, यहां भी भारत ने सुधारवादी बहुपक्षवाद की वकालत की है और जी-20 के माध्यम से बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार की मांग की है। एक समूह के रूप में हमें अपने मुद्दे को मजबूती से आगे बढ़ाने की जरूरत है।
भारत संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार के लिए लगातार दबाव बनाता रहा है। तर्क देता रहा है कि इनमें वर्तमान विश्व की वास्तविकताएं प्रतिबिंबित होनी चाहिए।
विदेश मंत्री ने आर्थिक लचीलेपन को मजबूत करने, जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा परिवर्तन, बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करने और डिजिटल बदलावों को लोकतांत्रिक बनाने के चार विशिष्ट क्षेत्रों में अपने विचार रखे। आर्थिक लचीलेपन के बारे में उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी, संघर्षों और जलवायु संबंधी घटनाओं ने विश्वसनीय और लचीली आपूर्ति शृंखलाओं की आवश्यकता को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा, केवल इतना ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को जोखिम मुक्त करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन में विविधता लाने की भी बहुत जरूरत है।
जलवायु परिवर्तन पर चर्चा करते हुए जयशंकर ने कहा कि इसके जोखिम, बदलाव के लिए उपायों की लागत और संसाधनों तक पहुंच तीन बड़े मुद्दे हैं। उन्होंने कहा, हमारी जी-20 अध्यक्षता के दौरान हमने न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तनों को उजागर करने का प्रयास किया। उन्होंने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के महत्व को भी रेखांकित किया। जयशंकर ने कहा, यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब दुनिया अनेक संघर्षों, तनावों और दबावों से जूझ रही है। हम, ग्लोबल साउथ के राष्ट्र विशेष रूप से प्रभावित हैं। जयशंकर ने कहा, विचारों के इस आदान-प्रदान का उद्देश्य इस प्रक्रिया के माध्यम से हमारे हितों को परिभाषित करना है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।