देश जल्द ही रक्षा उत्पादों में आत्मनिर्भर बनेगाः डीआरडीओ
- सुलूर में बहुपक्षीय वायु युद्ध अभ्यास में स्वनिर्मित हथियार प्रणालियों का प्रदर्शन किया
सुलूर, एजेंसी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मंगलवार को तमिलनाडु के सुलूर में चल रहे बहुपक्षीय वायु युद्ध अभ्यास ‘तरंग शक्ति में देश में निर्मित अपनी कई हथियार प्रणालियों का प्रदर्शन किया। डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी कामत ने कहा कि देश जल्द ही रक्षा उत्पादों में आत्मनिर्भर बन जाएगा। कामत ने बताया कि वायुसेना का तरंग शक्ति अभ्यास डीआरडीओ के लिए घरेलू हथियारों का प्रदर्शन करने का अवसर है। डीआरडीओ द्वारा विकसित पांचवीं पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमानों (एएमसीए) के बारे में उन्होंने कहा कि यह 5.5 पीढ़ी का विमान है। हमने अभी-अभी इससे जुड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया है। उम्मीद है कि 2034 तक हमारे विकास से जुड़े परीक्षण पूरे हो जाएंगे और इसे 2035 तक वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा।
भारतीय वायु सेना के एलसीए तेजस, मिराज 2000 और राफेल इस युद्ध अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मित्रों के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना है।
जर्मनी, फ्रांस की वायुसेना ने शानदार अनुभव करार दिया
जर्मनी के वायुसेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल इंगो गेरहार्ट्ज ने कहा कि भारतीय वायुसेना के साथ उड़ान भरना और स्पेन तथा फ्रांसीसी एयरफोर्स के साथ मिलकर काम करना शानदार अनुभव है। भारतीय वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह द्वारा उड़ाए गए हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस पर उन्होंने कहा कि यह अभिभूत करने वाला था। फ्रांसीसी वायु सेना के ब्रिगेडियर जनरल गिलौम थॉमस ने कहा कि हम तेजस जैसे भारतीय विमानों के साथ उड़ान भरने में सक्षम होने पर बहुत खुश हैं।
बता दें कि 6 अगस्त को भारतीय वायुसेना ने सुलूर में अपना पहला बहुराष्ट्रीय अभ्यास तरंग शक्ति शुरू किया था। अभ्यास का पहला चरण गुरुवार तक चलेगा और दूसरा चरण राजस्थान के जोधपुर में 29 अगस्त से 14 सितंबर तक चलेगा।
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