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अरविंद केजरीवाल आधुनिक भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी : गहलोत

संबोधन ----- - मुख्यमंत्री की न्यायिक हिरासत के चलते गृह मंत्री ने स्वतंत्रता दिवस समारोह

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 15 Aug 2024 12:09 PM
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नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में गुरुवार को दिल्ली सरकार की ओर से छत्रसाल स्टेडियम में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने झंडा फहराने के बाद परेड की सलामी ली। इस मौके पर उन्होंने सीएम केजरीवाल को आधुनिक भारत का स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बताते हुए कहा कि उन्हें काम करने के कारण गिरफ्तार किया गया है। इस दौरान दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय और इमरान हुसैन समेत अन्य विधायक मौजूद रहे। गहलोत ने स्वतंत्रता दिवस समारोह की सभी को बधाई देते हुए शहीदों व देश की सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों को भी याद किया। उन्होंने कहा, क्या हमें 77 साल पहले इसलिए आजादी मिली थी कि एक दिन एक चुने हुए मुख्यमंत्री को बिना किसी अपराध और सबूत के जेल में डाल दिया जाएगा। बिल्कुल नहीं। मुख्यमंत्री केजरीवाल को दिल्ली की जनता के लिए काम करने की सजा मिल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की शक्ति केजरीवाल को दी, लेकिन कानून लाकर इसे छीन लिया गया। इसके बावजूद केजरीवाल ने दिल्लीवालों का कोई काम नहीं रुकने दिया।

झुकने के बदले जेल जाना स्वीकार किया

गहलोत ने कहा कि आज के दिन से मेरी भावनाएं दो तरह से जुड़ी हैं। हमारे कितने वीर सपूतों ने जान की बाजी लगाकर हमें आजादी दिलाई, लेकिन मन व्यथित है कि आज लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मुख्यमंत्री बिना किसी जुर्म, सबूत के जेल की सलाखों के पीछे हैं। आज मुझे उनकी जगह यहां आना पड़ा है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को इसलिए जेल भेजा गया क्योंकि वह काम कर रहे थे। उन्होंने काम की सजा के तौर पर जेल में जाना स्वीकार किया, लेकिन लोकतंत्र का हनन करने वालों के सामने झुकना स्वीकार नहीं किया। केजरीवाल सरकार जनता को गरीबी और अशिक्षा से मुक्ति दिलाने की दिशा में काम कर रही है।

दावा : अगली बार सीएम फहराएंगे झंडा

गृह मंत्री ने कहा कि देश विरोधी ताकतों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को रोकने की कोशिश की है, लेकिन हमारा संविधान इतना मजबूत है कि कोई उन्हें रोक नहीं सकता है। दिल्ली में शिक्षा क्रांति के जनक मनीष सिसोदिया को भी रोकने के लिए जेल में डाला गया था, मगर संविधान की ताकत ने उन्हें 17 महीने बाद जेल से बाहर खड़ा कर दिया है। हमें उम्मीद है कि केजरीवाल जल्द बाहर आएंगे। अगली बार यहां से वह ही झंडा फहराएंगे। उन्होंने कहा, लोग कहते हैं कि सभी सरकारें एक जैसी होती हैं, लेकिन केजरीवाल सरकार उनमें से नहीं है। दिल्ली सरकार ने पढ़े-लिखे लोगों को जगह दी। उसी का नतीजा है कि जहां देश के कई हिस्सों में बिजली नहीं आती है, दिल्ली में 24 घंटे मुफ्त बिजली मिलती है। अब जनता को चुनने का समय आ गया है कि करोड़ों के कर्ज माफ होंगे, पूंजीपतियों के लिए काम होंगे या फिर जनता के लिए काम करने वाली सरकार चाहिए।

शिक्षा, स्वास्थ्य मॉडल की दुनियाभर में चर्चा

इस दौरान गहलोत ने दिल्ली सरकार के काम को गिनाया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में केजरीवाल सरकार के शिक्षा व स्वास्थ्य मॉडल की चर्चा हो रही है। 70 साल बाद ही ऐसी सरकार आई है कि जो बच्चों को विश्वस्तरीय शिक्षा देने का काम कर रही है। अरविंद केजरीवाल का सपना सिर्फ गरीबी दूर करना नहीं, हर गरीब को अमीर बनाना भी है। यह तभी संभव है जब सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलेगी। उसी का नतीजा है कि आज दिल्ली में 22 हजार से अधिक क्लासरूम बने हैं। 14 नए स्कूल बन रहे हैं। परीक्षा परिणामों में सुधार हुआ है। निजी स्कूल के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में 540 मोहल्ला क्लीनिक खुले हैं, जिनमें रोजाना औसतन 65 हजार लोगों का इलाज होता है। अस्पतालों में बिस्तरों की सख्या 9,500 से बढ़ाकर 13,700 कर दी है। 14 मौजूदा अस्पतालों के विस्तार का काम चल रहा है, जिससे 12 हजार बिस्तर बढ़ेंगे। प्रदूषण स्तर में भी कमी आई है। नौ साल में मेट्रो का नेटवर्क 193 से बढ़कर 393 किलोमीटर तक पहुंच गया है। दिल्ली में 400 करोड़ की लागत से देश का सबसे बड़ा और पहला मल्टीलेवल ई-बस डिपो भी बन रहा है। बिजली, पानी मुफ्त देने के साथ बसों में महिलाओं को मुफ्त सफर करा रहे हैं।

ई-वाहनों की राजधानी बनी दिल्ली

गृह मंत्री ने कहा कि प्रदूषण कम करने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। दिल्ली में हरित क्षेत्र अब सबसे ज्यादा है। बसों की संख्या बढ़ाई गई है। प्रदूषण कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। अच्छी नीतियों के कारण आज दिल्ली ई-वाहनों की राजधानी बन गई है। दिल्ली में दो हजार इलेक्ट्रिक बस हैं। 2025 तक 10,500 बसें होंगी, जिनमें 80 फीसदी इलेक्ट्रिक होगी। इसके अलावा दिल्ली में कुल पंजीकृत होने वाले वाहनों में करीब 10 फीसदी वाहन इलेक्ट्रिक हैं।

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