कोर्ट ने स्पाइसजेट को तीन इंजन बंद करने का निर्देश देने वाला आदेश बरकरार रखा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पाइसजेट को तीन इंजन वापस करने का आदेश बरकरार रखा है। यह आदेश इंजन पट्टेदारों को भुगतान में चूक के कारण दिया गया था। न्यायालय ने यह भी कहा कि स्पाइसजेट के पास इंजनों के उपयोग...
नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को पारित एक फैसले के माध्यम से फ्रांसीसी इंजन पट्टेदारों को भुगतान में चूक के कारण स्पाइसजेट एयर को अपने तीन इंजन बंद करने का निर्देश देने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा है। हाल ही में स्पाइसजेट ने तीन इंजनों को बंद करने और उन्हें उनके पट्टेदारों टीम फ्रांस 01 एसएएस और सनबर्ड फ्रांस 02 एसएएस को वापस करने के आदेश को चुनौती देते हुए एक अपील दायर की थी। न्यायमूर्ति राजीव शकधर एवं अमित बंसल की खंडपीठ ने आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए कोई उपयुक्त कारण नहीं पाया और स्पाइसजेट को इंजन बंद करने के निर्देश का पालन करने के निर्देश को बरकरार रखा।
ज्ञात रहे न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की एकलपीठ ने 14 अगस्त, 2024 को पारित एक आदेश में स्पाइसजेट को इंजन बंद करने और उन्हें निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर वापस करने का निर्देश दिया था।
पीठ ने कहा कि यह न्यायालय वादी/पट्टाधारकों के इस तर्क से सहमत है कि प्रतिवादी/स्पाइसजेट लिमिटेड द्वारा इंजनों के निरंतर उपयोग के कारण उसे अपूरणीय क्षति हो रही है, क्योंकि इंजन एक मूल्यह्रास वाली परिसंपत्ति है, जो टूट-फूट से ग्रस्त है। प्रतिवादी एक डिफॉल्टर है और उसके पास इंजनों का उपयोग जारी रखने का कोई कानूनी और संविदात्मक अधिकार नहीं है। रिकॉर्ड के अनुसार प्रतिवादी द्वारा स्वीकार किए गए बकाया का भुगतान करने में असमर्थता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। वास्तव में प्रतिवादी को भुगतान के बिना इंजनों का उपयोग जारी रखने की अनुमति देने से केवल वादी को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ेगा और इसलिए, सुविधा का संतुलन प्रतिवादी के खिलाफ और वादी के पक्ष में है।
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