धोखाधड़ी मामले में आरोपी को जमानत
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि बिना सुनवाई के अंतहीन कारावास संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। कोर्ट ने 2022 में धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत दी। न्यायमूर्ति अमित महाजन ने कहा...
नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल में कहा कि बिना सुनवाई के अंतहीन कारावास संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने धोखाधड़ी के एक मामले में वर्ष 2022 में गिरफ्तार किए गए एक व्यक्ति को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने कहा कि यदि किसी आरोपी को मामले में समय पर सुनवाई के बिना लंबे समय तक कारावास में रहना पड़ता है, तो अदालतें आमतौर पर उसे जमानत पर रिहा करने के लिए बाध्य होंगी। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित है। पीठ ने कहा कि इस मामले में आरोप अभी तय नहीं किए गए हैं। अभियोजन पक्ष ने पूरक आरोपपत्र दाखिल करने के लिए बार-बार स्थगन का अनुरोध किया है। आरोपी की अंतिम जमानत याचिका खारिज हुए एक साल हो गया है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने दो साल से अधिक समय हिरासत में बिताया है। निकट भविष्य में सुनवाई पूरी होने की कोई संभावना नहीं है। ऐसी परिस्थितियों में गवाहों की गवाही दर्ज नहीं किए जाने के कारण आवेदक को अंतहीन अवधि के लिए कारावास में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
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