कच्चे तेल में भारी गिरावट से पेट्रोल-डीजल सस्ते होने की संभावना बढ़ी
कच्चे तेल की कीमतें मार्च 2024 के बाद 20% गिरकर 75 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई हैं। इससे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की संभावना बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पेट्रोल में 10...
सुमंत बनर्जी नई दिल्ली। कच्चे तेल के दाम मार्च 2024 के बाद से 20 फीसदी गिरकर 75 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गए हैं। इससे भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में भारी कटौती की संभावना है। पिछली बार लोकसभा चुनाव से पहले ईंधन की कीमतों में बदलाव किए गए थे। गौरतलब है कि अप्रैल के बाद से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल में 19 फीसदी की भारी गिरावट आई है। अब यह 72.48 डॉलर पर है। अगस्त 2021 में यह कीमत सबसे निचले स्तर यानी 69.8 डॉलर प्रति बैरल पर थी। कोरोना महामारी की वजह से, जब मार्च 2020 में कीमतें दो दशक के निचले स्तर 19.9 डॉलर तक गिरीं तब से कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। मार्च 2022 में कीमतें 2014 के बाद पहली बार 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गईं और जून 2022 में दशक के उच्चतम स्तर 116 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं, लेकिन वित्त वर्ष 2023 के अंत तक दाम में गिरावट आई और यह 80 डॉलर प्रति बैरल से कम पर पहुंच गई। पिछले वित्तीय वर्ष में सितंबर महीने में कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हुईं, लेकिन ज्यादातर 81-84 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में थीं।
गिरावट की वजह
दरअसल, दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातक चीन से मांग कम होने से वैश्चिक स्तर पर कच्चे तेल कीमतों में गिरावट आई है। बीते मंगलवार को अपनी मासिक रिपोर्ट में ओपेक ने चालू वर्ष के लिए अपने वैश्विक तेल मांग पूर्वानुमान को 2.11 मिलियन बैरल प्रतिदिन के अपने पहले अनुमान से घटाकर 2.03 मिलियन बैरल प्रति दिन किया था। यह गिरावट का लगातार दूसरा महीना था। जुलाई में इसका मूल मांग अनुमान 2.25 मिलियन बैरल प्रति दिन था। इसने 2025 के लिए अपने विकास अनुमान को 1.78 मिलियन बीपीडी से घटाकर 1.74 मिलियन बीपीडी किया। भू-राजनीतिक तनाव की वजह से भी कीमतों पर बड़ा असर पड़ता है, लेकिन तनाव बढ़ने की ज्यादातर आशंकाएं निराधार हैं।
पेट्रोल पंप पर दामों में कमी नहीं हुई
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को क्रमशः वर्ष 2010 और वर्ष 2014 में नियंत्रण मुक्त किया गया था। वर्ष 2017 तक तेल विपणन कंपनियों ने हर पाक्षिक दामों में बदलाव किया, तब से कीमतों को दैनिक रूप से संशोधित किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। 15 मार्च को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई, जिससे छह अप्रैल 2022 तक कीमतों में लगी रोक समाप्त हो गई।
कटौती की संभावना कितनी
पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत लंबे समय तक कम रहती है तो तेल कंपनियां खुदरा कीमतों में कटौती पर विचार करेंगी। अमूमन, वैश्चिक स्तर पर कच्चे तेल की कम कीमतों और किसी आगामी चुनाव के कारण दामों में कटौती हुई है। अगले 20 दिनों में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिर साल के अंत में महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि पेट्रोल में 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 6-7 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गुंजाइश है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
इससे 58 लाख से अधिक डीजल से चलने वाले मालवाहक वाहनों, छह करोड़ कारों और 27 करोड़ दो पहिया वाहनों की परिचालन लागत कम होगी, जो बड़े पैमाने पर पेट्रोल पर चलते हैं। सस्ते डीजल से परिवहन और रसद लागत में कमी आती है, जिससे मुद्रास्फीति कम होती है, क्योंकि अधिकांश सामान सड़क मार्ग से ले जाए जाते हैं। दरअसल, कार और दो पहिया वाहन उपयोगकर्ताओं की बचत का एक हिस्सा अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में खर्च होता है। कम अंतर्राष्ट्रीय कीमत भी भारत के चालू खाते घाटे पर अनुकूल प्रभाव डालती है क्योंकि देश की कच्चे तेल की जरूरत का 85 फीसदी से अधिक आयात किया जाता है।
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