तलाकशुदा महिला की सरोगेसी की मांग संबंधी याचिका हाईकोर्ट ने की स्थगित
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक तलाकशुदा महिला की सरोगेसी से मां बनने की याचिका को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। अदालत ने कहा कि यह मामला केवल महिला की इच्छा का नहीं है, बल्कि आने वाले बच्चे के अधिकारों से...

-कोर्ट ने भविष्य में व्यापक प्रभावों का हवाला दे महिला से सुप्रीम कोर्ट जाने को कहा मुंबई, एजेंसी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक तलाकशुदा महिला की सरोगेसी से मां बनने संबंधी याचिका को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। अदालत ने कहा कि सवाल केवल महिला की इच्छा का नहीं बल्कि आने वाले बच्चे के अधिकारों का भी है।
डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान जस्टिस जी.एस.कुलकर्णी व जस्टिस अद्वैत सेथना ने यह बात कही। अदालत एक तलाकशुदा महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसके पहले से दो बच्चे हैं। दोनों बच्चे अपने पिता की कस्टडी में हैं और महिला का बीमारी के कारण गर्भाशय निकाला जा चुका है। ऐसे में वह दोबारा गर्भ धारण करने में असमर्थ है।
महिला के वकील तेजस डांडे ने याचिका में कहा कि महिला दोबारा शादी नहीं करना चाहती। वह गर्भाशय निकाले जाने के कारण प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण नहीं कर सकती। ऐसे में उसे सरोगेसी से मां बनने की अनुमति दी जाए।
याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि इस मामले में अनुमति देने के कई व्यापक प्रभाव सामने आ सकते हैं। सरोगेसी से जन्मे बच्चे के भी कुछ अधिकार हैं। अदालत केवल महिला के बारे में नहीं सोच सकती। यह एक साधारण मामला नहीं है और उसमें कई बड़े मामले शामिल हैं।
अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों से सरोगेसी का व्यवसायीकरण हो सकता है। ऐसे में अदालत मामले में महिला को कोई अंतरिम राहत नहीं दे सकती और इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करती है। अदालत ने कहा कि महिला सुप्रीम कोर्ट जाकर वहां लंबित मामलों में हस्तक्षेप की मांग कर सकती है।
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