मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, यूसीसी लाने का प्रयास अस्वीकार्य
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लाने का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता के आह्वान...
नई दिल्ली, एजेंसी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने शनिवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लाने का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य होगा। एआईएमपीएलबी ने कहा, विधि आयोग ने भी 2018 में कहा था कि यूसीसी न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय है। मालूम हो कि बोर्ड ने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की वकालत करने के कुछ दिन बाद कही है। एआईएमपीएलबी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री के धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता के आह्वान को गलत बताया है। एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता एस. क्यू. आर. इलियास ने इसे एक सोची-समझी साजिश बताया जिसके गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ के साथ कभी समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, देश की विधायिका ने स्वयं शरीयत एप्लीकेशन एक्ट, 1937 को मंजूरी दी है और भारत के संविधान ने अनुच्छेद 25 के तहत धर्म को मानने, उसका प्रचार करने और उसका पालन करने को मौलिक अधिकार घोषित किया है।
इलियास ने कहा कि देश के निर्वाचित प्रतिनिधियों को ऐसी निरंकुश शक्तियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान में एक संघवादी राजनीतिक संरचना और बहुलवादी समाज की परिकल्पना की गई है, जहां धार्मिक संप्रदायों और सांस्कृतिक इकाइयों को अपने धर्म का पालन करने और अपनी संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार है।
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