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विशेष संवाददाता अडानी समूह को लेकर अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दाखिल कर आरोपों की जांच कराने की मांग की गई है। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने शीर्ष अदालत...
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता अडानी समूह को लेकर अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दाखिल कर आरोपों की जांच कराने की मांग की है। शीर्ष अदालत में दाखिल अर्जी में ‘हिंडनबर्ग नई रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसमें आरोप है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष माधवी पुरी बुच और उनके पति ने ऑफशोर फंड में निवेश किया था, जो अडानी समूह कंपनियों से जुड़े हैं।
अधिवक्ता विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा है कि ‘चूंकि इस रिपोर्ट ने संदेह का माहौल पैदा कर दिया है, इसलिए अडानी समूह को बारे में हिंडनबर्ग की 2023 की रिपोर्ट को लेकर सेबी को लंबित जांच को पूरा करने और जांच के निष्कर्ष की सार्वजनिक करना बेहद जरूरी है। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने पिछले साल हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों की विशेष जांच दल (एसआईटी) या सीबीआई से कराने की मांग की थी। 2023 में जारी अपनी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर अपने कंपनियों के शेयर में हेरफेर करने का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी, 2023 को इस मामले में सेबी की जांच से सहमति जताते हुए, आरोपों की एसआईटी और सीबीआई से जांच कराने की मांग को लेकर अधिवक्ता तिवारी व अन्य की याचिकाओं को खारिज कर दिया था। हालांकि शीर्ष अदालत ने सेबी को मामले में लंबित जांच को तीन माह के भीतर पूरा कराने को कहा था।
इसके बाद, अधिवक्ता विशाल तिवारी ने इस साल जून में अपनी निस्तारित रिट याचिका में एक अर्जी दाखिल कर शीर्ष अदालत से सेबी को जनवरी में पारित फैसले के मुताबिक तय समय-सीमा के भीतर अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग के आरोपों की लंबित जांच को पूरा करने का आदेश देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार न्यायिक (लिस्टिंग) ने 5 अगस्त को इस अर्जी को सुनवाई के लिए स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। रजिस्ट्रार न्यायिक ने अपने आदेश में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन माह के भीतर जांच पूरी करने के लिए कोई स्पष्ट निर्देश पारित नहीं किया है क्योंकि अधिमानतः शब्द का इस्तेमाल किया गया था।
अधिवक्ता विशाल तिवारी ने अब हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट के मद्देनजर, सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार न्यायिक द्वारा 5 अगस्त को अर्जी को स्वीकार करने से इनकार किए जाने के आदेश को चुनौती दी है। साथ ही, रजिस्ट्रार ने अर्जी को सूचीबद्ध करने का आदेश देने की मांग की है। इस अर्जी में अधिवक्ता ने हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसमें आरोप है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष माधवी पुरी बुच और उनके पति ने ऑफशोर फंड में निवेश किया था, जो अडानी समूह कंपनियों से जुड़े हैं। साथ ही कहा गया है कि चूंकि हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट ने संदेह का माहौल पैदा कर दिया है, इसलिए अडानी समूह को बारे में हिंडनबर्ग की 2023 की रिपोर्ट को लेकर सेबी को लंबित जांच को पूरा करने और जांच के निष्कर्ष की सार्वजनिक करना बेहद जरूरी है।
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