Hindi Newsएनसीआर न्यूज़नई दिल्ली8-hour delay in filing a rape case against the girl the court granted bail to the accused

बच्ची से दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करने में 8 घंटे की देरी, आरोपी को कोर्ट ने दी जमानत 

महज ढाई साल की बच्ची से दुष्कर्म के आरोप में मुकदमा दर्ज करने में आठ घंटे की देरी होने के आधार पर उच्च न्यायालय ने आरोपी को जमानत दे दी। आरोपी पर बच्ची को ओरल सेक्स के लिए दबाव बनाने का आरोप...

Deep Pandey हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीSat, 30 Jan 2021 07:24 AM
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महज ढाई साल की बच्ची से दुष्कर्म के आरोप में मुकदमा दर्ज करने में आठ घंटे की देरी होने के आधार पर उच्च न्यायालय ने आरोपी को जमानत दे दी। आरोपी पर बच्ची को ओरल सेक्स के लिए दबाव बनाने का आरोप है।

जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने कहा है कि घटना को लेकर प्राथमिकी दर्ज (एफआईआर) दर्ज होने में आठ घंटे की देरी हुई है और इसका कोई उचित कारण नहीं बताया गया। साथ ही कहा है कि पुलिस के अनुसार घटना के वक्त आरोपी नशे में था और लोगों ने उसकी पिटाई भी की। लेकिन एमएलसी की रिपोर्ट  में नशे और शरीर पर चोट के निशान का जिक्र नहीं है। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि यदि पड़ोसियों ने आरोपी की पिटाई की थी और वह उस वक्त नशे की हालत में था, तो यह बात एमएलसी की रिपोर्ट में होनी चाहिए थी।

साथ ही कहा कि यदि एमएलसी की रिपोर्ट में आरोपी के शरीर पर किसी  तरह की चोट नहीं दिखती है तो इससे जाहिर होता है कि उसकी सार्वजनिक पिटाई नहीं हुई थी, जैसा कि पुलिस ने प्राथमिकी में दावा किया है। यह टिप्पणी  करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि इस हिसाब से आरोपी जमानत पाने का हकदार है। सीसीटीवी फुटेज देखने के उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह  भी कहा कि उक्त सीसीटीवी फुटेज में पीड़िता के पिता इमारत के बाहर थे। शिकायतकर्ता मकान मे भीतर प्रवेश करता है और एक मिनट के भीतर वह आरोपी को पकड़कर उसे बाहर लाता हुआ दिखाई दे रहा है।

न्यायालय ने कहा है कि यदि इस तरह का गंभीर अपराध ढाई साल की बच्ची के साथ हुआ तो फिर तत्काल प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई।

यह मामला दक्षिणी दिल्ली का है। पुलिस ने अनुसार शिकायतकर्ता ने आरोपी को नशे की हालत में देखा और उसे कथित तौर पर पीड़ित बच्ची को ओरल  सेक्स करने के लिए प्रेरित करते हुए भी सुना। शिकायतकर्ता ने पुलिस को यह भी बताया था कि आरोपी बच्ची के साथ तब उसकी पैंट की जिप खुली हुई  थी। पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए अदालत को बताया कि इस घटना को देखकर आस-पड़ोस के लोग जमा हो गए और आरोपी की खूब पिटाई करने के बाद पुलिस को सौंप दिया था।

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड सहिंता की धारा धारा 376 एबी (12 साल से कम उम्र की बच्ची से दुष्कर्म ) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम यानी पॉक्सो की धारा 6 (आक्रामक यौन उत्पीड़न) के तहत प्राथमिकी दर्ज किया था। आरोपी के ओर से अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि मामले में कई विरोधाभास हैं।

उन्होंने न्यायालय से कहा कि पुलिस के दावे के विपरीत आरोपी के एमएलसी में नशे की हालत में होने का कोई जिक्र नहीं है। अधिवक्ता ने कहा कि जब भीड़ ने उनके मुवक्किल को पीटा गया था तो उसके शरीर पर निशान होने चाहिए थे, लेकिन आरोपी के बदन पर खरोंच के कोई निशान नहीं मिले। साथ ही कहा कि शिकायतकर्ता की ओर से पेश सीसीटीवी फुटेज को पुलिस अब तक सत्यापित नहीं कर पाई है। यह दलील देते हुए अधिवक्ता ने आरोपी को जमानत देने की मांग की थी।
 

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