मनीष सिसोदिया को क्यों बदलनी पड़ गई सीट, पटपड़गंज से कैसे हिला जीत का भरोसा
अब तक पटपड़गंज सीट से विधानसभा चुनाव लड़ते रहे मनीष सिसोदिया को इस बार जंगपुरा सीट से चुनाव लड़ाया जा रहा है। सिसोदिया की जगह हाल ही में ‘झाड़ू’ थामने वाले मशहूर टीचर अवध ओझा को टिकट दिया गया है।
आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दिया है। पार्टी ने दूसरी लिस्ट के साथ व्यापक फेरबदल का ऐलान कर दिया है। एक तरफ जहां बाहरी उम्मीदवारों को तरजीह दी गई है तो दूसरी तरफ कई मौजूदा विधायकों का टिकट भी काट दिया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता मनीष सिसोदिया की सीट बदल दी गई है।
अब तक पटपड़गंज सीट से विधानसभा चुनाव लड़ते रहे मनीष सिसोदिया को इस बार जंगपुरा सीट से चुनाव लड़ाया जा रहा है। सिसोदिया की जगह हाल ही में ‘झाड़ू’ थामने वाले मशहूर टीचर अवध ओझा को टिकट दिया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों पार्टी को अपने दूसरे सबसे बड़े चेहरे की सीट बदलनी पड़ी?
आम दिल्लीवालों के लिए सिसोदिया की सीट बदलने की खबर भले ही चौंकाने वाली हो, लेकिन दिल्ली की राजनीति पर करीब से निगाह रखने वाले कुछ विश्लेषक पहले से ही इसकी संभावना जता रहे थे। 'लाइव हिन्दुस्तान' ने भी अवध ओझा के पार्टी में शामिल होने के बाद यह खबर दी थी कि वह पटपड़गंज से सिसोदिया की जगह चुनाव लड़ सकते हैं।
सिसोदिया के पटपड़गंज छोड़ने की सबसे बड़ी वजह क्या
दरअसल, इसकी सबसे बड़ी वजह 5 साल पुराने चुनाव नतीजे में छिपी है। 2020 में जब विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए तो भले ही पार्टी को 62 सीटों पर जीत मिली पर मनीष सिसोदिया को अपनी सीट निकालने में काफी कठिनाई हुई थी। मनीष सिसोदिया पटपड़गंज से महज 3 हजार से कछ अधिक वोटों से जीत हासिल कर पाए थे। भाजपा के रविंद्र सिंह नेगी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी इस बार आंतरिक सर्वे के आधार पर टिकट का वितरण कर रही है, जिसमें इस बार पटपड़गंज से अच्छे फीडबैक नहीं मिले हैं।
सिसोदिया की सीट बदलने की दूसरी वजह क्या
दूसरी वजह यह है कि कथित शराब घोटाले में जेल जाने के बाद मनीष सिसोदिया को लंबा वक्त तिहाड़ जेल में बिताना पड़ा। ऐसे में पटपड़गंज में कामकाज काफी प्रभावित हुआ। सिसोदिया की गौरमौजूदगी में भाजपा ने यहां अपनी जमीन मजबूत करने की भरसक कोशिश की है। ऐसे में पार्टी के कुछ रणनीतिकारों का मानना था कि इस बार जब एंटी इनकंबेंसी का भी सामना करना है, सिसोदिया के लिए यह सीट सुरक्षित नहीं थी। पार्टी उनके लिए इसलिए भी एक सुरक्षित सीट चाहती है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल और सिसोदिया की जीत को 'ईमानदारी के सर्टिफिकेट' से खुद पार्टी सुप्रीमो जोड़ चुके हैं।
पटपड़गंज से अवध ओझा क्यों
पटपड़गंज सीट पर पूर्वांचल और उत्तारखंड के वोटर्स की बड़ी आबादी है। ऐसे में पार्टी को इस सीट पर एक पूर्वांचली चेहरे की तलाश थी। हाल ही में राजनीति में एंट्री करने वाले अवध ओझा को इस सीट के लिए बेहतर उम्मीदवार माना गया। उत्तर प्रदेश के गोंडा से आने वाले अवध ओझा की पूर्वांचली चेहरे के तौर पर अच्छी पहचान है।
जंगपुरा को सेफ मानती है AAP
मनीष सिसोदिया को इस बार पटपड़गंज की बजाय जंगपुरा सीट से उतारने का फैसला किया गया है, जिसे पार्टी अपने लिए अधिक सुरक्षित मानती है। 2020 और 2015 में 'आप' के प्रवीण कुमार ने अच्छे बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। 2015 में वह 16 हजार और 2015 में 23 से अधिक वोटों से जीते थे।
सिसोदिया की सीट बदलने पर क्या बोली AAP
'आप' के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष गोपाल राय ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सिसोदिया की सीट बदले जाने पर कहा कि खुद पूर्व डिप्टी सीएम ने इसका प्रस्ताव अवध ओझा के लिए रखा था। गोपाल राय ने कहा, 'मनीष सिसोदिया जी दिल्ली में किसी भी सीट से चुनाव लड़ें, जनता उनके साथ है। पिछले दिनों शिक्षाविद् अवध ओझा ने पार्टी जॉइन की। उनको लेकर चर्चा थी कि उनको कहां से चुनाव लड़ाया जाए। मनीष जी ने प्रस्ताव रखा था कि हम कहीं से चुनाव लड़ सकते हैं, पटपड़गंज सीट उन्होंने ऑफर की थी, वहां से अवध ओझा को उम्मीदवार बनाया गया है। पार्टी ने उन्हें (सिसोदिया) जो जिम्मेदारी दी है वह जंगपुरा सीट से लड़ेंगे।'