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केजरीवाल को जमानत मिलते ही कैसा था मनीष सिसोदिया-आतिशी का रिएक्शन, सामने आया वीडियो

दिल्ली के कथित शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत दे दी है।

Aditi Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 13 Sep 2024 04:14 PM
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने रिहाई के आदेश भी जारी कर दिए हैं जिसके बाद अब केजरीवाल जल्द ही तिहाड़ जेल से बाहर आ जाएंगे। ऐसे में आम आदमी पार्टी में जश्न का माहौल है। विधानसभा चुनावों से पहले केजरीवाल की रिहाई को पार्टी के लिए संजीवनी बताया जा रहा है। इस बीच एक वीडियो सामने आया है जिसमें केजरीवाल को जमानत मिलते ही आप के ब़ड़े नेतओं का रिएक्शन साफ देखा जा सकता है।

इस वीडियो में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आतिशी समेत आप के कुछ नेता केजरीवाल की जमानत पर फैसला सुनते नजर आ रहा है। जैसे सुप्रीम कोर्ट जमानत का आदेश देता है, सभी नेताओं में खुशी की लहर दौड़ जाती है और एक दूसरे गले लगाते हुए बधाई देते हैं।

आम आदमी पार्टी ने इस वीडियो को सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर शेयर किया है। वीडियो में मनीष सिसौदिया और आतिशी को लैपटॉप के सामने बैठकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनते देखा जा सकता है। जैसे ही कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के लिए जमानत की घोषणा की, नेताओं ने राहत की सांस ली और मुस्कुराते हुए एक-दूसरे को गले लगाया। पार्टी के अन्य नेता भी सिसोदिया और आतिशी से हाथ मिलाते नजर आए। इसके अलावा एक अन्य वीडियो सामने आय़ा है जिसमें अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल, आतिशी, मनीष सिसोजिया और संजय सिंह समेत कई नेता लोगों को मिठाई बांटते नजर आ रहे हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर शुक्रवार फैसला सुनाते हुए कहा कि यह जरूरी है कि सीबीआई 'पिंजरे में बंद तोते' की धारणा को दूर करे और उसकी धारणा एक पिंजरे से बाहर तोते की होनी चाहिए। जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंड पीठ ने केजरीवाल को सीबीआई के मुकदमे में एकमत से उनकी जमानत याचिका मंजूर करने का फैसला सुनाया, लेकिन जस्टिस सूर्य कांत ने न्यायिक हिरासत में बंद मुख्यमंत्री को सीबीआई की ओर से 26 जून को की गई गिरफ्तारी को न्यायोचित करार दिया। वहीं जस्टिस भुइयां ने गिरफ्तारी की वैधता पर अलग फैसला सुनाते हुए सीबीआई पर सख्त टिप्पणियां कीं।

जस्टिस भुइयां ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी के समय ने जवाबों से ज्यादा सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सीबीआई तभी सक्रिय हुई जब ईडी द्वारा जांच किए गए धनशोधन मामले में उन्हें नियमित जमानत दी गई। उन्होंने कहा कि देरी से की गई गिरफ्तारी (केजरीवाल की) अनुचित और पूरी तरह से अस्वीकार्य है। सीबीआई को न केवल ईमानदार होना चाहिए, बल्कि ऐसा दिखना भी चाहिए।उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी को इस धारणा को छोड़ना चाहिए कि वह पिंजरे में बंद तोता है।

दो सदस्यीय पीठ में शामिल न्यायमूर्ति भुइयां ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा, 'सीबीआई देश की एक प्रमुख जांच एजेंसी है। यह जनहित में है कि सीबीआई न केवल निष्पक्ष हो, बल्कि ऐसा उसे दिखना भी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस धारणा को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए कि गिरफ्तारी और जांच मनमाने और पक्षपातपूर्ण तरीके से की गई थी।कानून के शासन द्वारा संचालित एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में धारणा मायने रखती है।

भाषा से इनपुट

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