Notification Icon
Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Life imprisonment to the mother who murdered two girls

दो बच्चियों की हत्यारी मां को उम्र कैद, कोर्ट ने कहा- यह अंतरात्मा को झकझोरने वाला

अभियोजन पक्ष के अनुसार, लीलावती ने 20 फरवरी, 2018 को पांच साल और पांच महीने की अपनी दो बेटियों की गला दबाकर हत्या कर दी थी।

Aditi Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, भाषाThu, 5 Sep 2024 02:23 AM
share Share

तीस हजारी कोर्ट ने 2018 में अपनी दो नाबालिग बेटियों की गला दबाकर हत्या करने के लिए एक महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 32 वर्षीय लीलावती को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सचिन जैन ने सजा सुनाते हुए कहा कि मृत्युदंड के स्थान पर आजीवन कारावास उसके दो अन्य जीवित बच्चों के लिए दिया जा रहा है, क्योंकि बच्चों के पुनर्वास की संभावना है। 

अदालत ने कहा कि इस जघन्य अपराध ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया है, क्योंकि माताओं को उनकी पालन-पोषण की भूमिका, त्याग, ममता और निस्वार्थता के कारण समाज द्वारा आदर्श माना जाता है। तीस हजारी अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सचिन जैन ने हत्या के लिए पूर्व में दोषी ठहराई गई लीलावती (32) को सजा सुनाते हुए कहा कि दोषी के दो अन्य बच्चों की भलाई को ध्यान में रखते हुए और चूंकि उसके पुनर्वास और समाज में पुनः एकीकरण की संभावना है, इसलिए मृत्युदंड की तुलना में आजीवन कारावास अधिक उपयुक्त है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, लीलावती ने 20 फरवरी, 2018 को पांच साल और पांच महीने की अपनी दो बेटियों की गला दबाकर हत्या कर दी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि मां को हमेशा उसकी पालन-पोषण की भूमिका और त्याग के कारण एक रक्षक के रूप में देखा जाता है और इसी कारण से, समाज माता को आदर्श मानता है।’’

कोर्ट ने कहा, अपनी ही दो बेटियों की हत्या का कृत्य न केवल अदालत बल्कि पूरे समाज की अंतरात्मा को झकझोरता है। दोषी द्वारा दोनों बेटियों की गला घोंटकर हत्या करना स्पष्ट रूप से एक निर्मम हत्या है, जो वर्तमान मामले को दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में लाता है। अदालत ने दोषी को आजीवन कारावास और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।

अदालत ने पाया कि दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना के तहत भुगतान के लिए कोई आधार नहीं है क्योंकि मामले में लाभार्थी ही अपराधी है। अदालत के आदेश में कहा गया, ‘‘चूंकि दोनों बेटियां/पीड़िता पहले ही अपनी जान गंवा चुके हैं और लाभार्थी ही अपराधी है, जिसने जघन्य हत्या की और पिता ने न्याय के लिए लड़ने के बजाय दोषी को बचाने की पूरी कोशिश की, इसलिए वर्तमान मामले में मुआवजा देने का कोई आधार नहीं बनता है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें