इस साल कम जली पराली, फिर भी दिल्ली के आसमान पर छाई धुएं की चादर; SC ने पंजाब-हरियाणा से मांगा जवाब
देश के छह राज्यों में पिछले साल की तुलना में इस बार पराली जलाने की घटनाएं आधी से भी कम हैं। इसके बावजूद दिल्ली के लोगों को पराली के धुएं से होने वाले प्रदूषण से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब सरकार को हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
देश के छह राज्यों में पिछले साल की तुलना में इस बार पराली जलाने की घटनाएं आधी से भी कम हैं। इसके बावजूद दिल्ली के लोगों को पराली के धुएं से होने वाले प्रदूषण से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। पिछले तीन दिन में दिल्ली की हवा में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 10 फीसदी से ज्यादा है।
पंजाब में एक तिहाई घटनाएं
कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोईकोसिस्टम मॉनीटरिंग एंड मॉडलिंग फ्राम स्पेस (क्रीम्स) के मुताबिक, पिछले साल तीन नवंबर तक छह राज्यों में पराली जलाने के कुल 20 हजार 728 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि इस बार तीन नवंबर तक नौ हजार 730 मामले ही सामने आए हैं। पिछले साल इस समयावधि में पंजाब में 12 हजार 728 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि इस साल इसी समयावधि में सिर्फ चार हजार 132 मामले सामने आए हैं।
35 फीसदी तक पहुंची हिस्सेदारी
दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी दीवाली के अगले दिन सबसे ज्यादा 35 फीसदी रही थी।
घटनाओं पर जवाब दें हरियाणा-पंजाब
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब सरकार को हलफनामा दाखिल कर अक्तूबर के आखिरी 10 दिनों में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या के बारे में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पंजाब सरकार के उस प्रस्ताव पर विचार करने को कहा, जिसके तहत राज्य के छोटे किसानों की सहायता के लिए ट्रैक्टर व अन्य उपकरण मुहैया कराने में आर्थिक मदद देने का आग्रह किया है।
पीतमपुरा और रिज के तापमान में बड़ा अंतर
राजधानी दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में खासा अंतर देखने को मिल रहा है। रिज क्षेत्र में न्यूनतम तापमान 13.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से चार डिग्री कम है। पीतमपुरा में न्यूनतम तापमान 20.6 डिग्री रहा। यह सामान्य से पांच डिग्री ज्यादा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, एक ही शहर की दो जगहों में तापमान में इतने ज्यादा अंतर की वजह शहरी ताप प्रभाव (अर्बन हीट इफेक्ट) हो सकता है।