BJP विधायक बनते ही कैलाश गहलोत ने HC से वापस ली याचिका, केंद्र के इस नियम को दी थी चुनौती
कैलाश गहलोत जो पूर्व में आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री थे उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट से अपनी एक याचिका वापस ले ली है। इसपर अदालत ने कहा, 'याचिका वापस लिए जाने के कारण खारिज की जाती है।' नवंबर 2024 में, गहलोत ने दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए थे।

कैलाश गहलोत जो पूर्व में आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री थे उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट से अपनी एक याचिका वापस ले ली है। उन्होंने उस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका वापस ली है, जिसके तहत मुख्यमंत्री समेत राज्य सरकार के मंत्रियों को विदेश यात्राओं के लिए केंद्र से राजनीतिक मंजूरी लेनी अनिवार्य है। बिजवासन विधानसभा सीट से अब भाजपा विधायक के वकील ने जस्टिस सचिन दत्ता से कहा कि वह याचिका वापस लेना चाहते हैं।
इसपर अदालत ने कहा, 'याचिका वापस लिए जाने के कारण खारिज की जाती है।' यह याचिका 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उस साल 8वें विश्व नगर शिखर सम्मेलन के लिए सिंगापुर की यात्रा की अनुमति नहीं दिए जाने की वजह से दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि इस तरह के 'विवेक के दुरुपयोग' का यह पहला मामला नहीं है। इसके बाद जब गहलोत ने लंदन परिवहन के निमंत्रण पर लंदन जाने के लिए मंजूरी मांगी थी, तो केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारियों की तरफ से तब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, जब तक कि अनुरोध अर्थहीन नहीं हो गया।
याचिका में कैबिनेट सचिवालय द्वारा जारी किए गए कई ऑफिस मेमोरेंडम के कार्यान्वयन को दिशा-निर्देश देने और उनका मार्गदर्शन करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई थी, जो केंद्र को राज्य सरकार के मंत्रियों को उनकी आधिकारिक क्षमता में विदेश यात्राओं के लिए अनुमति देने या न देने का अधिकार देते हैं।
याचिका में कहा गया था, 'भारतीय राजनेताओं के लिए यात्रा मंजूरी के लिए जिस मनमाने तरीके का व्यवहार किया जाता है, वह न केवल इस मामले में अच्छे शहरी शासन के हितों के लिए बल्कि आमतौर पर वैश्विक मंचों पर राष्ट्रीय हितों के लिए भी हानिकारक है। न केवल प्रतिवादी संख्या 1 (एलजी) ने सिंगापुर यात्रा के खिलाफ सलाह देकर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर काम किया है, बल्कि ऊपर उल्लिखित ऑफिस मेमोरेंडम द्वारा प्रदत्त शक्तियों का वास्तविक प्रयोग स्पष्ट रूप से मनमाना है और प्रतिवादियों की ओर से विवेक के अनियंत्रित उपयोग को दिखाता है।' बता दें कि नवंबर 2024 में, गहलोत ने दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए थे।