नोएडा में पूर्व मेजर जनरल को डिजिटल अरेस्ट करने वाले 3 दबोचे, 2 करोड़ की ठगी के कहां तक जुड़े तार
नोएडा में रहने वाले सेना के एक रिटायर्ड मेजर जनरल को 4 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 2 करोड़ रुपये वसूलने वाले 3 साइबर ठगों को नोएडा पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। इन जालसाजों ने जिन बैंक खातों में ठगी गई रकम ट्रांसफर कराई थी, उन्हें भी फ्रीज करा दिया गया है।
नोएडा में रहने वाले सेना के एक रिटायर्ड मेजर जनरल को 4 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 2 करोड़ रुपये वसूलने वाले 3 साइबर ठगों को नोएडा पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। तीनों आरोपी राजस्थान के रहने वाले हैं। इन जालसाजों ने जिन बैंक खातों में ठगी गई रकम ट्रांसफर कराई थी, उन्हें भी फ्रीज करा दिया गया है।
एडिशनल डीसीपी साइबर क्राइम प्रीति यादव ने बताया कि नोएडा सेक्टर-31 में रहने वाले रिटायर्ड मेजर जनरल ने 27 अगस्त को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि ठगों ने पुलिस और सीबीआई अधिकारी बनकर उन्हें विदेश भेजे जा रहे पार्सल में ड्रग्स समेत अन्य आपत्तिजनक सामान होने का डर दिखाया और उनसे रकम ट्रांसफर करवा ली। बैंक खातों की जांच में पता चला कि राजस्थान के जयपुर का एक गिरोह छात्रों और कर्मचारियों के खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर करवाता है। इसके बदले खाता धारकों को कमीशन मिलता है। इसके बाद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की गई। टीम ने जयपुर के रहने वाले 30 वर्षीय कानाराम गुर्जर, अलवर के 22 वर्षीय ललित कुमार और 30 वर्षीय सचिन कुमार को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरोह के सरगना राजकुमार को मुंबई पुलिस 2 अक्टूबर को ही गिरफ्तार कर चुकी है। एडिशनल डीसीपी के अनुसार, तीनों गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि उनके गिरोह के जालसाज वरिष्ठ नागरिकों और रिटायर्ड अधिकारियों को स्कॉइप कॉल कर डिजिटल अरेस्ट कर लेते हैं और उन्हें डराकर रकम ट्रांसफर करवाते हैं। आरोपियों ने रिटायर्ड मेजर जनरल की एफडी भी तुड़वा दी थी।
विदेश में बैठे सरगना राजस्थान के लोगों के खातों का ठगी में इस्तेमाल कर रहे : डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने वाले गिरोह के तीन जालसाजों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को कई अहम जानकारियां मिली हैं। चीन, वियतनाम, संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर में बैठे गिरोह के सरगना के निर्देश पर भारत में लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर ठगा जा रहा है। ठगी की रकम राजस्थान के सीकर, जयपुर और अलवर में रहने वाले लोगों के खातों में ट्रांसफर कराई जा रही है।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हो रही, उनमें से ज्यादातर राजस्थान के हैं। इसके बाद 15 जुलाई 2024 को राजस्थान के सीकर गिरोह का पर्दाफाश किया गया। गिरोह के सरगना समेत अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद कुछ समय के लिए ठगी पर लगाम लगी। इसके बाद अलवर और जयपुर में दूसरा गिरोह सक्रिय हो गया और ठगी के लिए खाते मुहैया कराने लगा। बीते 40 दिनों में राजस्थान के अलवर और जयपुर से सात ऐसे ठगों को दबोचा गया जो ठगी के लिए खाते मुहैया कराते हैं। खास बात यह है कि सीकर, जयपुर और अलवर गिरोह के जालसाज एक दूसरे से जुड़े हुए नहीं हैं।
सीकर गिरोह के जालसाज श्रमिकों और कामगारों के खातों का और अलवर-जयपुर के गिरोह छात्रों, होटलों और रेस्टोरेंट के कर्मचारियों के खातों का इस्तेमाल करते हैं।
एनसीआरपी पोर्टल पर 76 शिकायतें मिलीं
शनिवार को गिरफ्तार जालसाज सचिन से बताया कि उसके द्वारा जो खाते गिरोह को उपलब्ध कराए गए, उनके विरुद्ध एनसीआरपी पोर्टल पर विभिन्न राज्यों में कुल 76 शिकायतें दर्ज हैं। इनमें दिल्ली की तीन, झारखंड और उत्तर प्रदेश की दो-दो और उत्तराखंड की एक शिकायत हैं। पुलिस के अनुसार, इन मामलों की भी जांच की जा रही है। तीनों आरोपियों कानाराम गुर्जर, ललित कुमार और सचिन कुमार को अन्य राज्यों की पुलिस भी तलाश कर रही थी।
सिर्फ छह मामलों में आरोपी दबोचे गए
अक्टूबर 2023 से अक्टूबर 2024 तक नोएडा साइबर क्राइम थाने में साइबर ठगी के कुल 240 मुकदमे दर्ज हुए। इनमें सबसे अधिक मुकदमे निवेश के नाम पर हुई ठगी के हैं। फेडेक्स कुरियर कंपनी के नाम पर ठगने या डिजिटल अरेस्ट करने के कुल 28 मामले दर्ज हुए, लेकिन महज छह मामलों में 14 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, साइबर ठगी की कुल घटनाओं में लोगों से 60 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई।
साइबर जागरूकता के लिए एडवाइजरी जारी
डिजिटल अरेस्ट कर ठगी होने के सिलसिलेवार मामले सामने आने के बाद साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है। इसमें बताया गया है पुलिस किसी को भी फोन कॉल पर डिजिटल अरेस्ट नहीं करती। रिजर्व बैंक या किसी अन्य संस्था द्वारा रुपये का आपके खाते से सत्यापन नहीं किया जाता।
ठगी होने पर यहां शिकायत करें
साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल करें। www.cybercrime.gov.in पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। ठगी के एक घंटे के भीतर साइबर पुलिस को सूचित करने पर 90 प्रतिशत संभावना है कि आपकी रकम बैंक अधिकारियों से संपर्क कर फ्रीज करा दी जाएगी।