हिंडन डूब क्षेत्र में रजिस्ट्री कराने वालों को गुडन्यूज, अब नहीं लेनी होगी NOC; 10 हजार को फायदा
इलाहाबाद हाईकोर्ट से हिंडन डूब क्षेत्र में रहने वाले 10 हजार परिवारों को काहत मिली है। कोर्ट ने डूब क्षेत्र की संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए प्राधिकरण और सिंचाई विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेने का आदेश रद्द कर दिया।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यमुना और हिंडन के डूब क्षेत्र की संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए प्राधिकरण और सिंचाई विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेने का आदेश रद्द कर दिया। अपने फैसले में न्यायालय ने कहा है कि कानून जिलाधिकारी को कृषि जमीन बेचने पर रोक लगाने या शर्त थोपने का अधिकार नहीं देता, इसलिए हिंडन और यमुना के बाढ़ यानि डूब क्षेत्र में किसानों को कृषि भूमि खरीदने और बेचने पर अवरोध लगाना विभेदकारी और मनमाना है।
न्यायालय ने 30 सितंबर 2020 के आदेश, एक अक्तूबर 2020 के कार्यालय ज्ञापन और आठ जुलाई 2024 के शासनादेश को अवैध करार देकर रद्द कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने गौतमबुद्ध नगर के किसान सुरेश चंद और समेत अन्य किसानों की 11 याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करते हुए दिया।
बिल्डरों को छूट और किसानों पर रोक क्यों
कोर्ट ने कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट डीएम को ऐसी शक्ति नहीं देता कि यदि बाढ़ क्षेत्र में बिल्डर के निर्माण पर आपत्ति न हो और किसान को कृषि भूमि बेचने के लिए विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने को कहे। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति के अधिकार में भवन निर्माण का अधिकार शामिल है। यह मानवाधिकार और विकास का अधिकार है। साथ ही, संपत्ति का अधिकार अनुच्छेद-21 के तहत जीवन का भी अधिकार है। कोर्ट ने सरकार के इस तर्क को सही नहीं माना कि रोक नहीं, केवल अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने को कहा गया है।
अवैध निर्माण पर कभी कार्रवाई नहीं की
कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना कोई अवैध निर्माण नहीं हो सकता। प्राधिकरण ने बाढ़ क्षेत्र में अवैध निर्माण होने देने वाले अधिकारियों पर कभी कोई कार्रवाई नहीं की और किसानों को कृषि भूमि बेचने और खरीदने से रोक रहे हैं।
अधिकारी अपनी शर्तें नहीं थोप सकते
कोर्ट ने कहा कि यह समझ से परे है कि अधिकारियों के रहते अवैध निर्माण हो रहा है। यह सिस्टम के साथ मजाक है। अधिकारी अपनी गलती ढंकने के लिए शर्तें नहीं थोप सकते। भविष्य में मानव जीवन बचाने के लिए युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाया जा सकता है और चेक किया जाए कि अवैध निर्माण न हो।
मनमानी रोक अनुच्छेद 300ए का उल्लघंन
कोर्ट ने कई फैसलों और कानूनी पहलुओं पर विचार करते हुए डीएम से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने की अनिवार्यता को रद्द कर दिया और कहा है कि खरीद फरोख्त के अधिकार पर मनमानी रोक अनुच्छेद 300ए का उल्लघंन है। प्रत्येक नागरिक को जमीन की खरीद फरोख्त का कानूनी अधिकार है। केवल उचित और वैध कारण से ही इस अधिकार पर अवरोध लगाया जा सकता है, अन्यथा नहीं। याचियों ने अनुमति लिए बिना कृषि भूमि बेची थी। किसानों ने कहा था कि हम जमीन के स्वामी और कब्जेदार हैं। हमें अपनी जरूरत के लिए अपनी मर्जी से जमीन बेचने का अधिकार है।
हिंडन के डूब क्षेत्र में 10 हजार परिवार रह रहे
जिला प्रशासन के इस आदेश के खिलाफ कुछ किसानों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अब इस मामले में न्यायालय ने आदेश जारी कर दिया है। न्यायालय ने रजिस्ट्री पर लगी रोक के आदेश को समाप्त कर दिया है। न्यायालय के इस आदेश से संपत्ति की खरीद-फरोख्त में तेजी आ सकती है। अभी हिंडन एरिया के डूब क्षेत्र में 10 हजार तक परिवार रह रहे हैं। इनमें से काफी भूखंड की रजिस्ट्री होनी बाकी है।
तत्कालीन जिलाधिकारी का आदेश
तत्कालीन डीएम सुहास एल वाई ने वर्ष 2020 में जिला आपदा प्रबंधन कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देकर आदेश जारी किया था कि डूब क्षेत्र में कृषि भूमि की रजिस्ट्री कराने के लिए प्राधिकरण और सिंचाई विभाग से एनओसी लेनी होगी।
एक महीने में चार एनओसी जारी हुई
प्रशासन ने एक महीने पहले एक समिति गठित की थी। इस समिति की एनओसी के बाद ही संपत्ति की रजिस्ट्री हो सकती है। समिति ने चार मामलों में एनओसी जारी की। एनओसी के जरिए एक संपत्ति की रजिस्ट्री हो चुकी है।