Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Haryana Roadways Bus conductor gets relief from Delhi High Court after 20 years in Rs 110 fraud case

बस कंडक्टर को 20 साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट से राहत, 110 रुपये की धोखाधड़ी में हुआ था बर्खास्त

दिल्ली हाईकोर्ट ने हरियाणा रोडवेज के एक बस कंडक्टर को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कंडक्टर के खिलाफ अनुशासनिक व अपीलीय प्राधिकरण के आदेश को निरस्त कर दिया है। साथ ही उसे बर्खास्ती के दौरान रोकी गई सैलरी और अन्य भत्तों को तीन माह में देने का आदेश दिया है।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हेमलता कौशिकTue, 13 May 2025 06:41 AM
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बस कंडक्टर को 20 साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट से राहत, 110 रुपये की धोखाधड़ी में हुआ था बर्खास्त

दिल्ली हाईकोर्ट ने हरियाणा रोडवेज के एक बस कंडक्टर को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कंडक्टर के खिलाफ अनुशासनिक व अपीलीय प्राधिकरण के आदेश को निरस्त कर दिया है। साथ ही अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए हरियाणा रोडवेज को बर्खास्ती के दौरान कंडक्टर की रोकी गई सैलरी और अन्य भत्तों को तीन माह में देने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि कंडक्टर पर आरोप है कि उसने अलग-अलग यात्रियों से पैसे वसूले, लेकिन टिकट नहीं दिए। यह एक पहलू है। दूसरे नजरिए से देखा जाए, तो कंडक्टर ने 110 रुपये की धोखाधड़ी के एवज में दो दशक तक हरियाणा से दिल्ली तक अपने खिलाफ मुकदमों पर पक्ष रखने में लाखों रुपये खर्च किए हैं।

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जस्टिस प्रतीक जालान की बेंच ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि बेशक इस मामले को दोबारा जांच के लिए भेजने का नियम है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दशकों से चल रहे मामलों को बंद करने का विशेष अधिकार रखते हैं।

बेंच ने इस बाबत दो मामलों का हवाला भी दिया। इन मुकदमों के लंबा खिंचने पर आरोपी को राहत दी गई थी। इस मामले में भी यही सिंद्धात अपनाया जा रहा है। हरियाणा रोडवेज को निर्देश दिया जा रहा है कि उसे वह सभी लाभ दिए जाएं, जो वह सेवा के दौरान प्राप्त करता। कंडक्टर रिटायर हो चुका है।

यात्रियों से रुपये लेने के बाद टिकट नहीं देने का आरोप

कंडक्टर की हरियाणा रोडवेज में वर्ष 1981 में नियुक्ति हुई थी। घटना के समय वह हरियाणा रोडवेज की तरफ से दिल्ली के बाहरी इलाकों में चल रही बस में कंडक्टर था। इंस्पेक्टरों ने इस कंडक्टर को पांच अलग-अलग मामलों में धोखाधड़ी करते पाया था। पहली बार 4 जनवरी 2006 में उस पर आरोप लगे। इसके बाद चार अन्य बार ऐसे ही आरोप लगे। कंडक्टर पर यात्रियों से कुल 110 रुपये वसूलने के बाद टिकट नहीं देने का आरोप था।

अनुशासनात्मक व अपीलीय प्राधिकरण ने रोके थे लाभ

इन मामलों की सुनवाई के दौरान अनुशासनात्मक व अपीलीय प्राधिकरण ने कंडक्टर पर लगे धोखाधड़ी और वरिष्ठ अधिकारियों से दुर्व्यवहार के आरोप को सही माना। इसी आधार पर उसे निुयक्ति से लेकर कार्य के दौरान के सभी लाभों से वंचित कर दिया था। साथ ही उसे नौकरी से भी बर्खास्त कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने अब कहा है कि जब यह मामले दर्ज किए गए तब तक कंडक्टर 25 साल की नौकरी पूरी कर चुका था। उसके पूर्व के भत्तों को रद्द कर दिया गया था। 20 साल उसे अपना पक्ष रखने में लग गया। यह एक लंबा समय है। ऐसे में उसे राहत मिलनी चाहिए।

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