बंधवाड़ी में ना कूड़ा निस्तारण हो रहा ना ही लीचेट का प्रबंध, रिपोर्ट में खुलासा
गुरुग्राम के बंधवाड़ी लैंडफिल साइट पर नगर निगम द्वारा कचरा निस्तारण और जहरीले पानी के प्रबंधन में लापरवाही बरती जा रही है। हरियाणा प्रदूषण बोर्ड की जांच में यह खुलासा हुआ है कि लीचेट तालाबों में फैला...
गुरुग्राम, कार्यालय संवाददाता। बंधवाड़ी लैंडफील साइट पर निगम द्वारा ना तो कचरा निस्तारण का काम किया जा रहा है और ना ही कूड़े से निकलने वाले जहरीले पानी (लीचेट) का प्रबंधन। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा प्रदूषण बोर्ड द्वारा गठित कमेटी ने दिसंबर 2024 में बंधवाड़ी लैंडफिल साइट निरीक्षण किया था। निरीक्षण के बाद कमेटी की जांच रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। कमेटी द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट निगम में भी पहुंच गई है। यह रिपोर्ट अब सुप्रीम कोर्ट में तो सौंपी ही जाएगी साथ में हरियाणा प्रदूषण बोर्ड के चैयरमेन को भी यह रिपोर्ट भेजी गई है। बंधवाड़ी लैंडफिल साइट पर निगम द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी हालातों में कोई बदलाव नहीं हो रहा है।
बता दें कि दिल्ली एनसीआर में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर एमसी मेहता ने पूरे एनसीआर में फैले ठोस कूड़ा प्रबंधन को लेकर याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली थी। इस मामले में एमसी मेहता ने गुरुग्राम के बंधवाड़ी की लैंडफिल साइट को भी शामिल किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2024 में सुनवाई के दौरान हरियाणा प्रदूषण बोर्ड को लैंडफिल साइट का दौरा करने के निर्देश दिए थे। दौरे के दौरान निगम द्वारा जो भी लापरवाही बरती जा रही है उसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंपने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा प्रदूषण बोर्ड ने टेक्निकल एक्सपर्ट बाबूलाल के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी के अधिकारियों ने निगम अधिकारियों के साथ दो दिसंबर और तीन दिसंबर को बंधवाड़ी लैंडफिल साइट का दौरा किया था। इस दौरान निगम द्वारा यहां बरती जा रही लापरवाही को लेकर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है।
- तालाबों में ही सूख रहा लीचेट
कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पुराने अपशिष्ट डंप स्थल से उत्पन्न लीचेट 6-7 तालाबों में फैला हुआ पाया गया, जिसमें से लगभग एक एकड़ क्षेत्र के बड़े तालाब में पहले से जमा लीचेट लगभग सूख चुका है, तालाब के दो कोनों में थोड़ी मात्रा में लीचेट बचा है। समिति द्वारा पूछताछ करने पर नगर निगम गुरुग्राम के प्रतिनिधि ने दावा किया कि तालाब के लीचेट को बहरामपुर स्थित एसटीपी में उपचार के लिए ले जाकर तालाब से पानी निकाल दिया गया है। इसके अलावा साइट पर डंप पड़े पुराने कचरे का नगर निगम, गुरुग्राम द्वारा नियुक्त एजेंसियों द्वारा निपटान किया जा रहा है। हालांकि, दौरे के दिन पुराने कचरे के निपटान से संबंधित कोई काम नहीं चल रहा था। ट्रॉमेल मशीनें और अन्य उपकरण चालू नहीं थे।
- दिवारें टूटी मिली
टीम ने शेष छह लीचेट तालाबों में से, 3-4 तालाबों (लैंडफिल साइट के अंदर स्थित) में, इन तालाबों में मौजूद लीचेट की सतह पर प्लास्टिक कचरे की एक परत फैली हुई पाई गई। इन तालाबों के चारों ओर कोई पैरापेट दीवार या बाड़ नहीं लगाई गई थी, जिससे मनुष्यों और जंगली जानवरों को खतरा हो सकता है। सभी लीचेट तालाबों से प्लास्टिक कचरे की परत को तुरंत हटाया जाना चाहिए
- मिथेन गैसस को लेकर नहीं है कोई व्यवस्था
मीथेन गैस उत्सर्जन और अन्य विरासत अपशिष्ट गैसों का पता लगाने के लिए साइट पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इसके अलावा, उक्त गैसों को इकट्ठा करने और उन्हें जलाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। हालांकि, साइट पर मौजूद निगम के अधिकारियों ने बताया कि मीथेन गैस के रिसाव का पता लगाने के लिए मीथेन डिटेक्टर उपलब्ध है और यदि मीथेन गैस का रिसाव देखा जाता है, तो ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए विरासत अपशिष्ट के क्षेत्र को खुदाई करके कॉम्पैक्ट किया जाता है।
-लीचेट निस्तारण की मशीनें बंद पड़ी मिली
लैंडफिल साइट से निकलने वाले लीचेट के उपचार के लिए पहले लगाए गए डिस्क-ट्यूब रिवर्स ऑस्मोसिस (डीटीआरओएस) अब बेकार हो चुके हैं। समिति को बताया गया कि लैंडफिल साइट से निकलने वाले लीचेट का उपचार जीएमडीए द्वारा संचालित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बेहरामपुर में टैंकरों के माध्यम से किया जा रहा है। हालांकि, समिति का मानना है कि नगर निगम, गुरुग्राम द्वारा लीचेट के उपचार के लिए अपनाई गई विधि उचित नहीं है। नगर निगम, गुरुग्राम को लैंडफिल साइट से निकलने वाले लीचेट के उपचार के लिए पर्याप्त क्षमता वाले डिस्क-ट्यूब रिवर्स ऑस्मोसिस (डीटीआरओ) को फिर से स्थापित करना चाहिए या जीरो लिक्विड डिस्चार्ज तकनीक पर आधारित कोई अन्य उपयुक्त और उचित नवीनतम तकनीक तंत्र तुरंत स्थापित करना चाहिए।
: कोट
बंधवाड़ी में लीचेट प्रबंधन को लेकर दो नए डीटीआरओ लगाए जा रहे हैं। इसको लेकर टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। कूड़ा निस्तारण को लेकर 14 लाख मीट्रिक टन की अनुमति सरकार से मिलनी है जो अभी लंबित है। सरकार से अनुमति मिलते ही कूड़े का निस्तारण का काम शुरू करवा दिया जाएगा।
- अखिलेश यादव, संयुक्त आयुक्त, नगर निगम, गुरुग्राम।
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