कॉलेजों में स्नातक द्वितीय वर्ष में 25% छात्रों ने सीट छोड़ी
गुरुग्राम के कॉलेजों में स्नातक द्वितीय वर्ष में 25% छात्रों ने फीस नहीं भरी। छात्रों का कहना है कि उन्हें मनपसंद कॉलेज में दाखिला मिल गया है या वे आगे पढ़ाई नहीं करना चाहते। इस कारण से कॉलेजों में...
गुरुग्राम, अमर मौर्य। नई शिक्षा नीति के तहत इस सत्र का राजकीय कॉलेजों में स्नातक में दाखिले हुए। लेकिन गुरुग्राम के कॉलेजों में स्नातक द्वितीय वर्ष में 25% छात्रों ने सीट छोड़ दी है। क्योंकि छात्रों को बाहर के कॉलेजों में मनपंसद सीट मिलने पर फीस नहीं भरी। कई छात्रों की ओर से अब आगे की पढ़ाई नहीं करना चाहते है। यह खुलासा कॉलेजों की ओर से उच्चतर शिक्षा विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में हुआ। कॉलेज प्रबंधन की ओर से छात्रों से संपर्क करके फीस जमा नहीं कराने के के बारे में जाना। जिसमें छात्रों की ओर से इस तरह की बातें कहीं गई। कॉलेजों में स्नातक में ढाई हजार सीटें खाली:
जिले के दस कॉलेजों में स्नातक में करीब दस हजार सीटे हैं। इन सीटों पर पिछले साल दाखिले हुए थे। इस बार छात्र स्नातक द्वितीय वर्ष में फीस भरकर दाखिला लेना था। 12 सितंबर तक छात्रों को फीस जमा करके द्वितीय वर्ष में दाखिला लेने का मौका दिया गया था। लेकिन 25 प्रतिशत यानी ढाई हजार छात्रों ने कॉलेजों की फीस ही जमा नहीं कराई। ऐसे में कॉलेजों में स्नातक द्वितीय वर्ष की साढ़े सात हजार सीटों पर फीस जमा हो सके।
पूछने पर छात्रों ने बताए कारण:
कॉलेजों के शिक्षकों की ओर से स्नातक द्वितीय वर्ष में फीस जमा नहीं कराने वाले छात्रों से पूछा। 10 प्रतिशत छात्रों की ओर से कहा गया कि उनको मन पंसद कॉलेज में दाखिला मिल गया है, इसलिए वह द्वितीय वर्ष की फीस भरना नहीं चाहते हैं। 15 प्रतिशत छात्रों ने कहा है कि अब आगे की पढ़ाई नहीं करना चाहते हैं। उनको कमाने की जरुरत नहीं है। उनके पास मकान का किराया आता है कि उनको नौकरी करने की जरुरत है। इसलिए आगे की पढ़ाई नहीं करने के लिए फीस जमा नहीं कराएंगे। कॉलेजों की ओर से छात्रों के फीस जमा नहीं करने की रिपोर्ट तैयार कर उच्चतर शिक्षा विभाग को भेजी है।
युवाओं को रोजगार देने वाली नीति नहीं आई काम:
नई शिक्षा नीति छात्रों को रोजगार देने लायक बनाई गई। जिससे छात्रों के पसंद से शिक्षा व्यवस्था होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत युवाओं को रोजगार पाने वाला ही नहीं, बल्कि रोजगार देने वाला भी बनाया गया है। रुचि के अनुसार विषय चुनने की आजादी, नई शिक्षा व्यवस्था में बहुविषयक पाठ्यक्रम, योग्यता बढ़ोतरी, कौशल विकास तथा नैतिक मूल्यों संबंधित पाठ्यक्रम तथा इंटर्नशिप शामिल हैं। पाठ्यक्रम में रटने के बजाय, अवधारणात्मक समझ पर जोर दिया गया। लेकिन छात्रों ने नई शिक्षा नीति को दरकिनार कर फीस नहीं भरकर आगे की पढ़ाई नहीं करना चाहते हैं।
स्नातक के द्वितीय वर्ष के छात्रों ने फीस भरने से साफ मना कर दिया है। किसी छात्र ने मनपंसद कॉलेज मिलने पर तो किसी ने आगे की पढ़ाई नहीं करने के लिए फीस नहीं भरी। कॉलेज में खाली सीटों की रिपोर्ट बनाकर विभाग को भेज दिया गया है।
- संजय कत्याल, नोडल अधिकारी राजकीय महाविद्यालय सेक्टर-9
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