3 दिन से डिजिटल अरेस्ट थी महिला डॉक्टर, अचानक पहुंची साइबर थाने; सच्चाई जान उड़े होश
साइबर अपराधियों ने डॉक्टर रश्मि उपाध्याय को इतना भयभीत कर रखा था कि उन्हें एक मिनट भी वीडियो कॉल से दूर जाने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रखी थी। वह 27 लाख 50 हजार रुपये गंवाने के बाद डिजिटल अरेस्ट की अवस्था में ही साइबर अपराध थाने पहुंचीं।
साइबर अपराधियों ने डॉक्टर रश्मि उपाध्याय को इतना भयभीत कर रखा था कि उन्हें एक मिनट भी वीडियो कॉल से दूर जाने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रखी थी। वह 27 लाख 50 हजार रुपये गंवाने के बाद डिजिटल अरेस्ट की अवस्था में ही साइबर अपराध थाने पहुंचीं। थाने के प्रभारी निरीक्षक ने उनको मुक्त कराया। पीड़ित डॉक्टर ने उन्हें बताया कि वह 17 नवंबर से सोई नहीं हैं।
जालसाज हर समय वीडियो कॉल के जरिये उनकी निगरानी कर रहे हैं। परिचित तो क्या उन्हें पति से भी बात करने की अनुमति नहीं थी। इस दौरान मोबाइल पर जो भी कॉल आईं, उन्हें रिसीव नहीं करने दिया गया। डिजिटल अरेस्ट होने के बाद 18 नवंबर की शाम उन्होंने अपने बैंक खाते से 12 लाख 50 हजार रुपये आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर कर दिए। बैंक खाते में धनराशि न होने पर पीड़िता ने अगले दिन 19 नवंबर को पांच-पांच लाख रुपये के तीन फिक्सड डिपॉजिट को तोड़ लिया और जालसाजों द्वारा बताए बैंक खाते में 15 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
दूसरे दिन जब पीड़िता आरटीजीएस करने बैंक पहुंची तो बैंक प्रबंधक को संदेह हुआ। उन्होंने एक दिन पूर्व 12 लाख 50 हजार और अब 15 लाख रुपये ट्रांसफर करने का कारण पूछा। इस पर पीड़िता ने कहा कि उनके भाई को रुपये की जरूरत है। पीड़िता ने पति से रुपये उधार लेकर ट्रांसफर करने की ठानी। पति ने कारण पूछा तो नहीं बताया। दवाब दिया तो पूरी सच्चाई पति को बताई। तब पति ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा। थाने पहुंचने पर पीड़िता से निरीक्षक विजय गौतम ने कहा कि वीडियो कॉल पर बात करने वाले पुलिसकर्मी नहीं, बल्कि साइबर अपराधी हैं। उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है।
पुलिस वर्दी में एक बार सामने आया जालसाज
वीडियो कॉल के दौरान जालसाज ने अपना कैमरा बंद कर रखा था। इस पर पीड़ित डॉक्टर ने कहा कि उन्हें कैसे पता कि आप लोग पुलिस के अधिकारी हैं। इस पर जालसाज कैमरा ऑन कर चंद सेकेंड के लिए पुलिस की वर्दी में सामने आया। पीड़िता ने कॉल का स्क्रीन शॉट ले लिया।
नरेश गोयल के बारे में गूगल पर खोजी जानकारी
पीड़िता ने बताया कि जब उन्हें जालसाजों ने जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल की गिरफ्तारी के बारे में बताया तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। इस पर उन्होंने गूगल पर खोजा तो मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नरेश गोयल के गिरफ्तार होने की जानकारी हुई।
यहां करें शिकायत
1930 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं, www. cyber crime.gov.in पर सहायता मांग सकते हैं, सोशल मीडिया साइट एक्स पर @ cyber dost के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं
कोई जांच एजेंसी इस तरह पूछताछ नहीं करती
पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह का कहना कि देश की कोई भी जांच एजेंसी न तो डिजिटल अरेस्ट करती है और न ही इस तरह से पूछताछ करती है कि एक ही कॉल पर एक साथ पुलिस, सीबीआई, सीआईडी, आरबीआई आदि के अधिकारी आ जाएं। यह सब फर्जी होता है। इस तरह से आने वाली कॉल पर बेधड़क होकर जवाब दें। उनसे कहें कि लोकल पुलिस के साथ घर पर आकर पूछताछ करें। बिना लोकल पुलिस के कोई बातचीत नहीं होगी। यदि कोई किसी अन्य राज्य में मुकदमा दर्ज कराने की बात कहकर डराता है तो उससे डरे नहीं।
क्या है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध का एक तरीका है। डिजिटल अरेस्ट में ठग द्वारा पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उनका नाम ड्रग्स तस्करी या मनी लॉन्ड्रिंग के केस में आया है। वह डिजिटल तौर पर लगातार उनसे जुड़े रहेंगे। पीड़ित से केस रफा-दफा करने के लिए रुपये की मांग की जाती है। इस दौरान ठग लगातार फर्जी अधिकारी बनकर वीडियो कॉल के जरिये बात भी करते रहते हैं। पीड़ित डर की वजह से साइबर अपराधियों के बताए खाते में रुपये भेज देता है।
ये सावधानी बरतें
● अगर कोई अनजान व्यक्ति पार्सल में ड्रग्स होने की बात कहे तो पुलिस से संपर्क करें।
● अगर कोई अनजान व्यक्ति किसी ग्रुप पर जोड़ता है तो उससे इसका कारण पूछें।
● कम समय में कोई अगर भारी मुनाफा होने का झांसा दे तो सतर्क हो जाएं।
● यूट्यूब पर जारी किए गए वीडियो में दिए मोबाइल और फोन नंबर पर कॉल न करें।
● वीडियो लाइक करने पर मोटी कमाई होने के झांसे में न आएं।