दुर्गा पूजा को लेकर स्मार्ट सिटी में तैयारियां शुरू
फरीदाबाद में दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। पश्चिम बंगाल से मिट्टी और मूर्तिकारों को बुलाकर मां दुर्गा की प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं। इस बार दुर्गा पूजा 8 अक्टूबर से शुरू होगी। शहर में 50...
फरीदाबाद। स्मार्ट सिटी में दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू हो गई है। सामाजिक संस्थाओं द्वारा मां दुर्गा की प्रतिमा तैयार करवाई जा रही हैं। पश्चिम बंगाल से मिट्टी लाकर उससे मां दुर्गा के विभिन्न रूपाें को तैयार करवाया जा रहा है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल से मूर्तिकारों को बुलाया गया है। स्मार्ट सिटी में फरीदाबाद कालीबाड़ी सेक्टर-16 द्वारा हर वर्ष बड़े स्तर पर दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है। इस बार आठ अक्तूबर से दुर्गा पूजा शुरू होगी। उसकी तैयारियां शुरू हो गई है। मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने के लिए बर्धमान जिला से मिट्टी लाई गई है और मूर्ति को बनाने का 60 प्रतिशत काम पूरा भी हो गया है। फरीदाबाद कालीबाड़ी के प्रधान डॉ. प्रांजित भौमिक एवं महासचिव एके पंडित ने बताया कि बंगाल से ही मूर्तिकार पंचू गोपाल पाल को बुलाया गया है। वह मूर्ति तैयार कर रहे हैं। बर्धमान की चिकनी मिट्टी के अलावा फरीदाबाद की मिट्टी का भी प्रयोग किया जा रहा है।
50 से अधिक जगहों पर होता है भव्य आयोजन
स्मार्ट सिटी में पश्चिम बंगाल के लोग काफी अच्छी खासी संख्या में रहते हैं। हर वर्ष शरद नवरात्रों के दौरान दुर्गा पूजा को धूमधाम से मनाते हैं। 50 से अधिक जगहों पर बड़े पंडाल लगाए जाते हैं और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। काली बाड़ी के अलावा हार्ड वेयर चौक स्थित दुर्गावाड़ी, महारानी वैष्णोदेवी मंदिर, शनि मंदिर में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूप की पूजा होती है और कई तरह के कार्यक्रम भी होते हैं।
ग्रेटर फरीदाबाद की विभिन्न सोसाइटी में भी होती है दुर्गा पूजा
शहर की सामाजिक संस्थाओं के अलावा ग्रेटर फरीदाबाद की विभिन्न सोसाइटी की आरडब्ल्यूए द्वारा भी दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है। सोसाइटी में बड़े-बड़े पंडाल लगाए जाते हैं और चार दिनों में दुर्गा पूजा उत्सव मनाया जाता है। इसके बाद नवरात्रि के अंतिम दिन मां दुर्गा को धूमधाम से विदा किया जाता है।
यह कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं
एके पंडित ने बताया कि को दुर्गा पूजा पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा महिसासुर का वध करते हुए देखी जा सकती है। देवी त्रिशूल को पकड़े हुए होती हैं और उनके चरणों में महिषासुर नाम का असुर होता है। देवी के पीछे उनका वाहन शेर भी होता है। दुर्गा के साथ सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमाएं भी बनाई जाती हैं। इस पूरी प्रस्तुति को चाला कहा जाता है। चोखूदान
के दौरान दुर्गा की आंखों को चढ़ावा दिया जाता है। इन देवी-देवताओं की मूर्तियों यानि चाला को बनाने में तीन से चार महीने का समय लगता है। नवरात्रि के आठवें दिन अष्टमी पुष्पांजलि का त्योहार मनाया जाता है। दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान पारा और बारिर पूजा, कुमारी पूजा, संध्या आरती, सिंदूर खेला और धुनुची नाच किया जाता है।
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