साइबर जालसाजों ने फरीदाबाद से बिहार भेजा, बैंक से पैसे कराए ट्रांसफर; 56 घंटे यूं रखा 'डिजिटल अरेस्ट'
Digital Arrest: दिल्ली से सटे फरीदाबाद में रहने वाले 55 साल के व्यक्ति से साइबर अपराधियों ने अपने अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करवा लिए। इतना ही नहीं दूसरे अकाउंट के पैसे भी जालसाजों को देने के लिए उन्होंने बिहार जाने वाली ट्रेन पकड़ी।
Digital Arrest: दिल्ली से सटे फरीदाबाद में रहने वाले 55 साल के व्यक्ति से साइबर अपराधियों ने अपने अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करवा लिए। इतना ही नहीं दूसरे अकाउंट के पैसे भी जालसाजों को देने के लिए उन्होंने बिहार जाने वाली ट्रेन पकड़ी। ठगों ने उन्हें बताया कि उनके खिलाफ सीबीआई मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है और वारंट जारी किया है। अपराधियों की बातों में आकर पीड़ित ने अपना सारा पैसा आरबीआई सत्यापन के लिए एक स्थानीय अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया।
ठगों ने पीड़ित बैंक क्लर्क को 56 घंटे 'डिजिटल अरेस्ट' रखा। यह उदाहरण है कि कैसे साइबर अपराधी डर दिखाकर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं। 55 साल के बैंक क्लर्क अपने परिवार के साथ फरीदाबाद के सेक्टर 80 में रहते हैं। वह पहले वायु सेना में सेवा दे चुके हैं। 5 अक्टूबर की देर रात, वे चुनाव ड्यूटी के बाद घर लौटे थे (उस दिन हरियाणा विधानसभा चुनाव हुए थे)। अगली सुबह करीब 9.50 बजे उन्हें 'सीबीआई से' एक फोन आया। उस समय उनकी पत्नी और बेटा मंदिर गए हुए थे।
यह एक वीडियो कॉल था, लेकिन दूसरी तरफ से दो आदमियों की आवाज आ रही थी। एक ने खुद को सीबीआई अधिकारी- डीसीपी और दूसरे ने ट्राई (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) का अधिकारी बताया। दोनों ने उन्हें बताया कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके एक और फोन नंबर एक्टिवेट है, जिसके जरिए कई अपराध किए गए हैं।
पीड़ित द्वारा पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, 'मुझे वीडियो कॉल पर बताया गया कि 6.6 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मेरे खिलाफ वारंट जारी किया गया है, जिसमें वांटेड अपराधी नवाब मलिक शामिल है। मुझे दो घंटे के अंदर दिल्ली में सीबीआई कार्यालय जाने के लिए कहा गया। जब मैंने इतने कम समय में ऐसा कर पाने में असमर्थता व्यक्त की, तो खुद को सीबीआई अधिकारी बताने वाले शख्स ने असहयोग के लिए मुझे गिरफ्तार करने की धमकी दी।'
डर और गलत की आशंका के चलते पीड़ित ने उनकी बात मानने के लिए सहमति जताई। इसके बाद उन्हें होटल में ठहरने को कहा गया। वह सेक्टर-81 स्थित होटल में एक दिन रुके। सात अक्टूबर को उन्होंने जालसाजों को बताया की उनके पंजाब नेशनल बैंक में पांच लाख रुपए हैं जिसे उन्हें जांच के लिए ट्रांसफर करने को कहा गया। पीड़ित ने पुलिस को बताया, 'मुझे बताया गया कि आरबीआई जांच करेगा कि मेरे द्वारा ट्रांसफर पैसा मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है या नहीं, और यदि वे इसे क्लियर कर देते हैं, तो राशि को मेरे अकाउंट में डाल दिया जाएगा।'
लगातार दबाव के चलते उन्होंने 'सीबीआई अधिकारी' को बिहार के मधुबनी में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अपने दूसरे अकाउंट के बारे में भी बताया। चूंकि वे फरीदाबाद से इस खाते को ऑपरेट नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्हें तुरंत बिहार जाने का निर्देश दिया गया। वे वहां गए भी लेकिन पैसे ट्रांसफर नहीं कर पाए। फरीदाबाद से बिहार की यात्रा के दौरान जालसाज लगातार वीडियो कॉल के जरिए उनसे जुड़े रहे। गांव में किसी ने उनका फोन लेकर परिवार को कॉल कर दी। जिसके बाद डिजिटल अरेस्ट का सिलसिला टूटा। वे 10 अक्टूबर को वापस आए और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। जांचके बाद साइबर पुलिस ने बीएनएस की धारा 318 के तहत 25 नवंबर को केस दर्ज किया।