ED का बैंक फ्रॉड केस में बड़ा ऐक्शन, दिल्ली में 486 करोड़ रुपये का बंगला कुर्क
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित बैंक धोखाधड़ी से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली में 486 करोड़ रुपये कीमत का एक बंगला कुर्क किया है। सेंट्रल दिल्ली के सबसे महंगे इलाकों में से एक अमृता शेरगिल मार्ग पर स्थित यह बंगला लगभग एक एकड़ (4,840 वर्ग गज) बना है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्ववर्ती भूषण पावर एंड स्टील (बीपीएसएल) और उसके प्रमोटरों के खिलाफ कथित बैंक धोखाधड़ी से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली में 486 करोड़ रुपये कीमत का एक बंगला कुर्क किया है। सेंट्रल दिल्ली के सबसे महंगे इलाकों में से एक अमृता शेरगिल मार्ग पर स्थित यह बंगला लगभग एक एकड़ (4,840 वर्ग गज) बना है।
ईडी ने पीएमएलए के तहत एक आदेश जारी करने के बाद सेंट्रल दिल्ली में स्थित इस बंगले को अस्थायी रूप से फ्रीज कर दिया है। ईडी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि बंगले का स्वामित्व बीपीएसएल की पूर्व निदेशक और मुख्य प्रमोटर संजय सिंघल की पत्नी आरती सिंघल के पास है।
बीपीएसएल अब दिवालिया हो चुकी है और जेएसडब्ल्यू स्टील ने इसका अधिग्रहण कर लिया है। संजय सिंघल को नवंबर 2019 में ईडी ने गिरफ्तार किया था। इस मामले में उनके और अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है।
संघीय एजेंसी ने पहले भी इस मामले में संपत्तियां कुर्क की हैं और इस ताजा आदेश के साथ इस मामले में जब्त संपत्तियों का कुल मूल्य 4,938 करोड़ रुपये हो गया है। इसमें से 4,025 करोड़ रुपये की संपत्तियां पीएमएलए के तहत बैंकों को वापस कर दी गई हैं।
सीबीआई की एफआईआर से उत्पन्न हुआ केस
कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सीबीआई की एफआईआर से उत्पन्न हुआ है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कंपनी के पूर्व मालिकों ने बैंकों के साथ 47,204 करोड़ रुपये की ‘धोखाधड़ी’ की है।
बैंक के फंड से शेयर और निजी संपत्तियां खरीदने का आरोप
ईडी के अनुसार, आरोप है कि बीपीएसएल और उसके प्रमोटरों ने बैंकों से लिए गए फंड को शेयरों और संपत्तियों के रूप में निजी निवेशों में बदल दिया। इसमें दावा किया गया है, "अकाउंट बुक्स में हेराफेरी करके फर्जी खर्च, खरीद, पूंजीगत संपत्तियां दिखाई गईं और बैंक से नकदी के रूप में रकम निकाली गई। इसके अलावा, बिक्री से भी नकदी जुटाई गई और उसका इस्तेमाल परिवार के सदस्यों के नाम पर संपत्तियां खरीदने में किया गया।"
एजेंसी ने कहा कि इस रकम को विभिन्न लाभकारी स्वामित्व वाली 'बेनामी' कंपनियों (कर्मचारियों और नकली निदेशकों के माध्यम से) के खातों में भेजा गया और इसका उपयोग शेयरों और अचल संपत्तियों के रूप में निवेश के लिए किया गया।
इसमें आरोप लगाया गया है कि "बैंक के फंड को निजी संपत्तियों के अधिग्रहण में खर्च किया गया और इस तरह से रखा गया कि बैंक कर्ज की रकम वसूल नहीं कर सकें।"