भारत में घुसपैठ कराने वाले रैकेट का पर्दाफाश, 6 बांग्लादेशियों समेत 11 गिरफ्तार; लेते थे 25000 रुपए
दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो अप्रवासियों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करवाता था। पुलिस ने गिरोह के सरगना सहित छह अवैध बांग्लादेशियों और उसके पांच भारतीय साथी को गिरफ्तार किया है। गिरोह का सरगना महज चार साल की उम्र में भारत में प्रवेश कर गया था।

दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो अप्रवासियों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करवाता था। पुलिस ने गिरोह के सरगना सहित छह अवैध बांग्लादेशियों और उसके पांच भारतीय साथी को गिरफ्तार किया है। गिरोह का सरगना महज चार साल की उम्र में भारत में प्रवेश कर गया था।
दिल्ली पुलिस के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि गिरोह का संचालन 55 साल का चांद मिया द्वारा किया जाता है। वह चार साल की उम्र में भारत में प्रवेश कर गया था। यह गिरोह पहचान के लिए जाली दस्तावेज भी बनाता था, ताकि अवैध अप्रवासी देश में स्थायी रूप से रह सकें और रोजगार प्राप्त कर सकें।
दक्षिण-पूर्व दिल्ली के डीसीपी रवि कुमार सिंह ने बताया कि चांद मिया द्वारा दी गई सूचना के आधार पर चेन्नई से 33 और अवैध अप्रवासियों को पकड़ा गया है। उन्होंने बताया कि स्थानीय पुलिस ने वहां दो एफआईआर दर्ज की हैं। उन्होंने बताया कि नेटवर्क से कथित रूप से जुड़े 100 से अधिक बांग्लादेशी नागरिक और एजेंट जांच के दायरे में हैं।
चांद मिया के अलावा गिरफ्तार किए गए अन्य बांग्लादेशी नागरिक असलम (25), मोहम्मद अली हुसैन (28), मोहम्मद मिजान (25), मूलीश मोल्ला (24) और फातिमा अफ्रोस (32) हैं। अधिकारी के अनुसार, गिरफ्तार किए गए पांच भारतीयों की पहचान मोहम्मद अनीस (41), रंजन कुमार यादव (32), रहीसुद्दीन अली (37), शब्बीर (28) और लोकमन अली (35) के रूप में हुई है। उन्होंने कथित तौर पर अन्य दस्तावेजों के अलावा फर्जी आधार कार्ड, जन्म और जाति प्रमाण पत्र तैयार किए।
डीसीपी ने बताया कि पुलिस ने 12 मार्च को एक गुप्त सूचना के आधार पर तैमूर नगर से असलम को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ में पूरे घुसपैठ रैकेट का पर्दाफाश हुआ। इस गिरोह का मास्टरमाइंड चांद मिया था चेन्नई में रहता था। उन्होंने बताया कि लोकमान अली चांद मिया सीमा पार कर लाए गए बांग्लादेशी प्रवासियों को असम के गुवाहाटी रेलवे स्टेशन तक पहुंचाने में मदद करता था।
गुवाहाटी से गिरोह के सदस्य अवैध बांगलादेशियों को ट्रेन से दिल्ली पहुंचाते थे। यहां फर्जी पहचान पत्रों का उपयोग कर उन्हें नौकरी दिलाने में मदद की जाती थी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि उनमें से कई लोग दिहाड़ी मजदूरी, कूड़ा बीनने और कबाड़ इकट्ठा करने का काम करते थे।पुलिस ने कहा कि चांद मिया भारत में अवैध प्रवेश कराने के लिए 20 से 25 हजार रुपए लेता था। वह मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और मेघालय के रास्ते घुसपैठियों को भारत में प्रवेश कराता था।
डीसीपी ने कहा कि चांद मिया अनपढ़ है और चार साल की उम्र में अपने पिता के साथ भारत आया था। शुरू में वह सीमापुरी में एक झुग्गी में रहता था। उसके पिता कूड़ा बीनने का काम करते थे और बाद में तैमूर नगर में रहने लगा। वह कुछ साल पहले चेन्नई चला गया था। अधिकारी ने कहा कि वह अक्सर बांग्लादेश जाता है और हर बार अपने साथ अवैध अप्रवासियों को लाता है। मार्च में उसने असलम को भारत में अवैध रूप से प्रवेश कराने में मदद की।
पुलिस ने छापेमारी के दौरान फर्जी दस्तावेजों से बनाए गए 11 आधार कार्ड, बांग्लादेशी पहचान पत्र, चार हार्ड ड्राइव, एक लैपटॉप, एक प्रिंटर, एक बायोमेट्रिक स्कैनर और 19170 रुपए नकद जब्त किए। अनीस तैमूर नगर में एक साइबर कैफे चलाता था और कथित तौर पर फर्जी आधार कार्ड तैयार करता था, जबकि रंजन कुमार यादव एक पूर्व आधार केंद्र संचालक है।
पुलिस ने बताया कि रहीसुद्दीन अली एक डॉक्यूमेंट सेंटर चलाता था, जबकि शब्बीर और लोकमान अली दस्तावेज तैयार करने में मदद करते थे। पुलिस ने बताया कि पहले हिरासत में लिए गए अठारह बांग्लादेशियों को पहले ही निर्वासित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि नेटवर्क के और सदस्यों की पहचान करने के प्रयास किए जा रहे हैं।