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दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की रेप्लिका बनाने की योजना रद्द, दान लेना भी बंद

दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति के निर्माण की योजना रदद कर दी गई है। इसके निर्माण को लेकर काफी विवाद हो गया था। मंदिर के निर्माण से जुड़े केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट की अध्यक्ष सुमन मित्तल ने इस फैसले की जानकारी दी।

Krishna Bihari Singh भाषा, दिल्ली न्यूज, केदारनाथ न्यूज, नई दिल्लीTue, 27 Aug 2024 01:03 AM
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दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति के निर्माण की योजना रदद कर दी गई है। प्रतिकृति निर्माण को लेकर हाल में खासा विवाद हुआ था। दिल्ली के बुराड़ी में मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए थे। मंदिर के निर्माण से जुड़े केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट की अध्यक्ष सुमन मित्तल ने कहा- उत्तराखंड के कुछ लोगों द्वारा मंदिर निर्माण को लेकर आपत्ति जताए जाने के कारण हमने मंदिर को न बनाने का निर्णय लिया है। हमने सोचा कि इससे धार्मिक भावनाएं आहत होंगी।

मंदिर के निर्माण से जुड़े केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट की अध्यक्ष सुमन मित्तल ने कहा- हम अब उस नाम से कोई मंदिर नहीं बना रहे हैं। ट्रस्ट ने मंदिर के निर्माण के लिए क्यूआर कोड के जरिए ऑनलाइन दान लेना भी बंद कर दिया है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिमालयी धाम के पुजारियों ने राष्ट्रीय राजधानी के बुराड़ी में मंदिर बनाए जाने का यह कहते हुए विरोध किया था कि केदारनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसकी कहीं और प्रतिकृति बनाना सदियों पुराने मंदिर का अपमान होगा।

इस मंदिर के निर्माण के विरोध में विपक्षी कांग्रेस ने हरिद्वार में हर की पौड़ी से पदयात्रा भी निकाली थी। उत्तराखंड से उठ रहे भारी विरोध के साथ ही पुष्कर सिंह धामी सरकार की ओर से बनाए गए सख्त कानून के बाद दिल्ली ट्रस्ट बैकफुट पर था। ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने रविवार को पद से इस्तीफा दे दिया था। रौतेला ने रविवार को मीडिया को एक पत्र जारी किया था। इसमें उन्होंने अपने इस्तीफे की जानकारी दी।

सुरेंद्र रौतेला ने अपने पत्र के जरिये यह भी बताया था कि ट्रस्ट के अध्यक्ष अब सुमन मित्तल होंगे। इस पत्र में ट्रस्ट बंद करने की प्रक्रिया का जिक्र किया गया था। साथ ही मंदिर नहीं बनाने, ऑनलाइन चंदा नहीं लेने की बात कही गई थी। सनद रहे दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की रेप्लिका बनने को लेकर गहराए विवाद के बाद धामी सरकार ने इस विषय पर एक सख्त कानून बना दिया था। इसमें कहा गया था कि उत्तराखंड के चारों धाम के साथ ही अन्य प्रतिष्ठित मंदिरों के नाम से देश के किसी भी हिस्से में मंदिर बनाने वालों पर ऐक्शन लिया जाएगा। प्रावधान के तहत ऐसे आरोपियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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